जयपुर

क्या पैसे से खरीदी जा सकती है खुशी… New research से सदियों पुरानी बहस का मिला जवाब- ‘हां’

पैसों से खुशी का संबंध : नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री के अध्ययन में सामने आया। ‘ट्रैक योर हैप्पीनेस’ ऐप का किया इस्तेमाल।

जयपुरMar 15, 2023 / 12:50 am

Aryan Sharma

क्या पैसे से खरीदी जा सकती है खुशी… नए शोध से सदियों पुरानी बहस का मिला जवाब- ‘हां’

वॉशिंगटन. क्या पैसे से खुशियां खरीदी जा सकती हैं? यह एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब दार्शनिक, अर्थशास्त्री और सामाजिक वैज्ञानिक सदियों से खोज रहे हैं। लेकिन, एक नई स्टडी से इसका जवाब आखिरकार मिल गया है।
नए अध्ययन से पता चलता है कि किसी की खुशी तब बढ़ जाती है, जब उसकी आमदनी या कमाई में इजाफा होता है। यह शोध Nobel Prize-winning economist Daniel Kahneman और Princeton University के Matthew Killingsworth ने किया है।

33,391 लोगों को किया शोध में शामिल
डेनियल के हालिया अध्ययन के नतीजे उनके ही द्वारा 2010 में किए गए शोध से भिन्न हैं। 2010 में डेनियल ने अपने अध्ययन के आधार पर कहा था कि पैसा खुशी को एक हद तक ही बढ़ा सकता है। डेनियल और मैथ्यू की नई स्टडी नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज (National Academy of Sciences) में प्रकाशित हुई है। उन्होंने अपनी इस स्टडी में 18 से 65 साल की उम्र के बीच वाले 33,391 लोगों पर सर्वे किया। ये सारे अमरीका के कामकाजी लोग थे। इनकी वार्षिक आय 10,000 अमरीकी डॉलर (करीब 8,24,785 रुपए) थी।

आय में इजाफा होने से बढ़ती है खुशी…
शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों के हैप्पीनेस के स्केल को जानने के लिए उन्हें एक स्मार्टफोन ऐप ‘ट्रैक योर हैप्पीनेस’ इस्तेमाल करने को कहा। इसे मैथ्यू ने डेवलप किया था। प्रतिभागियों से पूछा गया था कि आप अभी कैसा महसूस कर रहे हैं, जिसके जवाब ‘बहुत खराब’ से लेकर ‘बहुत अच्छे’ तक रहे। इसके आधार पर शोधकर्ता दो बड़े निष्कर्षों पर पहुंचे। पहला, अधिकांश लोगों के लिए उनकी बढ़ती आय के साथ खुशी बढ़ती है। मतलब कई लोग औसत से अधिक पैसा होने से ज्यादा खुश रह सकते हैं। 5,00,000 डॉलर प्रति वर्ष तक की ज्यादा कमाई से खुशी में बढ़ोतरी होती है। लेकिन, अध्ययन में यह भी पाया गया कि प्रतिभागियों में से करीब 20 फीसदी लोग ‘unhappy minority’ भी थे, जिनका दुख एक सीमा तक बढ़ती आय के साथ कम होता है, पर फिर आगे कोई प्रगति नहीं दिखती है। ऐसे लोग ‘नेगेटिव’ दुखों का अनुभव करते हैं जिन्हें आम तौर पर ज्यादा पैसा कमाकर भी कम नहीं किया जा सकता है, उदाहरण के लिए दिल टूटने, शोक या अवसाद। ऐसे लोगों के लिए बढ़ती आय उनके दुख को कम कर सकती है, लेकिन खत्म नहीं।

पैसा भी खुशी का एक कारक
मैथ्यू किलिंग्सवर्थ का कहना है कि खुशी देने वाले कई कारक होते हैं। पैसा उन्हीं में से एक है। पैसा खुशी का कोई सीक्रेट नहीं है, लेकिन यह हमारी खुशियों को बढ़ाने में योगदान जरूर देता है। अगर सरल शब्दों में समझा जाए तो ज्यादातर लोगों के लिए उनकी आय में बढ़ोतरी उनकी खुशी का कारण बन सकती है।

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