मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा सोमवार को अचानक राज्यपाल कलराज मिश्र से मिले। इस मुलाकात के बाद से ही राजस्थान की सियासत में हलचल तेज हो गई। मंत्रिमण्डल में शामिल होने की उम्मीद लगाए विधायक एक बार फिर सक्रिय हो गए हैं। राजस्थान में अधिकतम तीस मंत्री बन सकते हैं। फिलहाल सीएम सहित 24 मंत्री हैं। ऐसे में यहां पर अधिकतम छह मंत्री बनने की उम्म्मीद है। मंत्रिमंडल विस्तार में जाति व क्षेत्र के अनुसार मौका दिया जा सकता है। जिन नामों की चर्चा अधिक है उनमें अलवर जिले के तिजारा से विधायक बाबा बालकनाथ का नाम भी है। इन्हें सांसद से विधायक का चुनाव लड़ाया था। जीते भी थे।
लेकिन इन्हें कोई पद नहीं मिला। भाजपा की पहली सूची में इनका नाम नहीं आने से अब उम्मीद लग रही है कि इन्हें मंत्रिपरिषद में शामिल किया जा सकता है। कारण, विधानसभा चुनाव में लोकसभा के छह सांसद चुनाव लड़े थे। तीन जीते थे। इनमें से दो को मंत्रिमंडल में ले लिया था, लेकिन बाबा बालकनाथ को मौका नहीं मिल पाया है। इसके अलावा कई और भी नाम चर्चा में हैं।
इधर भाजपा इस बार प्रत्येक सीट पर जीत के साथ ही पांच लाख से अधिक वोटों से मार्जिन से जीत की मुहिम में जुटी हैं, उधर अब कांग्रेस ने टिकटों के नाम फाइनल करने की मशक्कत तेज कर दी है। कांग्रेस हर हाल में जीतने की कोशिश में जुटी हैं। इसके लिए राजस्थान में लगभग सभी दिग्गजों को चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी में है। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के अलावा प्रदेशाध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा का नाम प्रमुखता से चल रहा है। ये बड़े नेता मैदान में उतरते हैं तो भाजपा को भी शेष दस सीटों में नाम फाइनल करने से दुबारा से मशक्कत करनी पड़ सकती है।
दिल्ली में आज प्रदेश कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक होनी है। इसमें लोकसभा सीट अनुसार पैनल के नामों पर चर्चा होगी। इनमें जिन नामों पर सहमति बनेगी उन्हें केन्द्रीय चुनाव समिति के समक्ष रखा जाएगा। यह बैठक सात मार्च को होने की संभावना जताई जा रही है। इधर भाजपा के शेष दस सीटों पर महिला प्रत्याशियों के अधिक मौका देने के लिए प्रेशर पड़ रहा है। भाजपा की अब तक की पहली सूची में केवल एक महिला को ही प्रत्याशी बनाया गया है। ऐसे में दो से तीन और महिला प्रत्याशी घोषित होने की भी चर्चा है।