काली मिर्च और हाथी दांत से भरे जहाज
बुद्ध की मूर्ति 71 सेंटीमीटर लंबी है। इसमें बुद्ध ने अपने कपड़े के एक हिस्से को पकड़ रखा है। डॉ. मुस्तफा वजीरी के मुताबिक, लाल सागर तट पर रोमन युग के दौरान कई बंदरगाहों से व्यापार किया जाता था। बेरेनिस में भारतीय जहाज आते थे, जो काली मिर्च, कपड़ों और हाथी दांत जैसे उत्पादों से लदे रहते थे। यहां से पूरे रोमन साम्राज्य में सामान पहुंचता था।
शायद भारतीय व्यापारियों के लिए बनाई
बुद्ध की मूर्ति के पैरों के करीब कमल का फूल है। पुरातात्विक मिशन की पोलिश टीम की प्रमुख डॉ. मारियस गोयजादा के मुताबिक, मूर्ति पत्थर से बनी है। इस पत्थर को शायद इस्तांबुल के दक्षिण के एक क्षेत्र से निकाला गया था। हो सकता है कि मूर्ति को यहीं तराशा गया हो और भारत के व्यापारियों के लिए मंदिर में रखा गया हो।