जयपुर

12वीं की किताब में पढ़ाया जा रहा, राणा ने खिलजी को दिखाया दर्पण में पद्मिनी का प्रतिबिम्ब

फिल्म पद्मावती को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। जिस दर्पण को लेकर करणी सेना विरोध कर रही है, उसमें भी सरकार का रवैया साफ नहीं है।

जयपुरNov 25, 2017 / 12:40 pm

Santosh Trivedi

माेहित शर्मा/जयपुर। संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती को लेकर चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। फिल्म का विरोध केवल करणी सेना के संगठन ही नहीं कर रहे हैं, बल्कि बीजेपी और कांग्रेस के कुछ विधायक और सांसद भी इसे हवा दे रहे हैं।
 

सरकार का रवैया साफ नहीं
जिस दर्पण को लेकर करणी सेना विरोध कर रही है, उसमें भी सरकार का रवैया साफ नहीं है। हालात ये हैं सरकार ने राजपूतों व जनभावनाओं को देखते हुए फिल्म के प्रदर्शन पर तो रोक लगा दी है। लेकिन माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान अजमेर की कक्षा 12 की किताब में अध्याय 4 मुगल आक्रमण: प्रकार और प्रभाव में इसे पढ़ाया जा रहा है।
 

जानकारों ने बताया कि शिक्षा विभाग ने इसी सत्र से इसे पाठयक्रम में जोड़ा है। ये पढ़ा रहे किताब में किताब में बताया गया है कि जब अलाउद्दीन खिलजी चित्तौड़ को नहीं जीत पाया तो उसने प्रस्ताव रखा कि यदि उसे पद्मिनी का प्रतिबिम्ब ही दिखा दिया जाए तो वह दिल्ली लौट जाएगा।
 

600 सहेलियों के साथ आने का प्रस्ताव भेजा
राणा ने खिलजी के इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। दर्पण में पद्मिनी का प्रतिबिम्बअ देखकर जब अलाउद्दीन खिलजी लौट रहा था, उस समय उसने रत्नसिंह को कैद कर लिया और रिहाई के बदले पदमनी की मांग की। सारा मामला जानने पर पद्मिनी ने राणा को छुड़ाने की योजना बनाई और अलाउद्दीन के पास अपनी 1600 सहेलियों के साथ आने का प्रस्ताव भेजा।
 

टयूरिज्म डिपार्टमेंट की साइट पर भी दर्पण का उल्लेख
यह उल्लेख मलिक मोहम्मद जायसी की रचना पद्मावत में किया गया है। कुछ इतिहासकारों ने पद्मिनी की एतिहासिकता को स्वीकार नहीं किया है। टयूरिज्म डिपार्टमेंट की साइट पर भी दर्पण का उल्लेख टयूरिज्म डिपार्टमेंट की साइट पर भी बताया गया है कि अलाउद्दीन खिलजी ने रानी पद्मिनी का प्रतिबिम्ब पानी में देखा था।
 

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