जयपुर

बिना मिल लगाए ही ब्रांडेंड कंपनियां बना रही Cooking Oil, राजस्थान में चल रहा तेल का खेल

राजस्थान में मूंगफली तेल इकाइयों और थर्ड पार्टी तेल कंपनियों के बीच चल रही जंग में शुद्धता को ताक पर रखकर केवल ब्रांडिंग और मार्केटिंग के दम पर थर्ड पार्टी तेल कंपनियां जमकर कूट रही माल, मार्केटिंग के अभाव में असली तेल मिल मालिक खो रहे पहचान

जयपुरMar 29, 2024 / 09:44 pm

pushpendra shekhawat

बिना मिल लगाए ही ब्रांडेंड कंपनियां बना रही Cooking Oil, राजस्थान में चल रहा तेल का खेल

राजस्थान में मूंगफली तेल इकाइयों और थर्ड पार्टी तेल कंपनियों के बीच चल रही जंग में शुद्धता को ताक पर रखकर केवल ब्रांडिंग और मार्केटिंग के दम पर थर्ड पार्टी तेल कंपनियां जमकर माल कूट रही हैं। आज स्थानीय तेल मिलें अपने ब्रांड की पहचान खो चुकी हैं और थर्ड पार्टी कंपनियों की मैन्युफैक्चरर और सप्लायर बनकर रह गई हैं। खास बात ये है कि तेल की शुद्धता की जिम्मेदारी भी तेल मिल मालिकों की ही होती है, अगर कोई फूड सेफ्टी एक्ट के तहत कार्रवाई की जाती है, तो मैन्युफैक्चरर को ही भुगतना पड़ता है।
350 से ज्यादा मूंगफली तेल इकाइयां
आज प्रदेश में 350 से ज्यादा मूंगफली तेल की मीडियम और लार्ज स्केल इकाइयां हैं, जिनमें से कुछ पतंजलि, सोना सिक्का आदि ब्रांड्स के लिए तेल बनाती हैं। हालांकि पतंजलि ने जबसे रुचि सोया का टेकओवर किया है, तब से वह खुद ही मैन्यूफैक्चरिंग कर रही हैं। लेकिन इसके बावजूद प्रदेश में दर्जनों थर्ड पार्टी ब्रांड हैं, जो स्थानीय तेल मिलों से टाइअप कर अपना ठप्पा लगाकर माल बेच रहे हैं।
थर्ड पार्टी कंपनियों की कोई जिम्मेदारी नहीं….
फूड इंस्पेक्टर नरेश शर्मा ने कहा कि हम किसी तेल इकाई पर कार्रवाई करते हैं, तो उसकी जिम्मेदारी केवल मैन्युफैक्चरर की होती है, ऐसे में थर्ड पार्टी कंपनियों को कोई नुकसान नहीं होता, इतना ही नहीं शुद्धता से लेकर कोई भी लीगल एक्शन की जिम्मेदारी की मैन्युफैक्चरर है।
समझे मैन्युफैक्चर्ड और ‘मार्केटिंग बाय’ का फर्क
दरअसल थर्ड पार्टी कंपनियां पैकिंग पर केवल अपनी फर्म के आगे ‘मार्केटिंग बाय’ ही लिखती हैं। वहीं जिस तेल मिल से ये माल बनवा रही हैं, उसे फर्म का नाम ‘मैन्युफैक्चर्ड बाय’ के सेक्शन में लिखती है। एग्रीमेंट में भी शुद्धता से लेकर कोई भी मिलावटी कार्रवाई तक की जिम्मेदारी मैन्युफैक्चरर की होती है। इतना ही नहीं इन ब्रांडेड कंपनियों का मूंगफली का तेल निर्माण इकाइयों के तेल की तुलना में 200 से 300 रुपए प्रति टिन महंगा होता है। वर्तमान में ब्रांडेड मूंगफली तेल 2550 से 2650 रुपए प्रति टिन तक है, जबकि उसी मिल का तेल 2350 से 2400 रुपए प्रति टिन (15) में उपलब्ध है।
संगठनों ने बताई पते की बात ….
अब सवाल उठाता है ग्राहक कौनसा तेल चुने। या तो वह ब्रांड की मार्केटिंग की चकाचौंध में आकर महंगा व थर्ड पार्टी कंपनियों का माल खरीदे, या उसी यूनिट में बना स्थानीय ब्रांड, जो 300 से 400 रुपए प्रति टिन सस्ता है, वह खरीदे। इस पर प्रदेशभर के उद्योग संगठनों ने अपनी राय दी है, उनका कहना है कि थर्ड पार्टी कंपनियों की जिम्मेदारी और लागत कम होती है, वे केवल डिजिटल मार्केटिंग और पब्लिसिटी के सिद्धांत पर चलती हैं। प्रदेश के तेल मिल मालिकों को भी अपने ब्रांड को बढ़ावा देना चाहिए, जिससे प्रदेश का उत्पादन स्थानीय स्तर पर ही खपाया जा सके। इससे राजस्थान की जीडीपी में भी वृद्धि होगी।
छलका तेल मिल मालिक का दर्द
बीकानेर स्थित अमृत उद्योग के चेयरमैन प्रकाश नौलखा ने बताया कि हमने 12 साल तक एक थर्ड पार्टी एग्रीमेंट के तहत सोना सिक्का ब्रांड को मूंगफली तेल सप्लाई किया, लेकिन अचानक डेढ़ साल पहले इस कंपनी ने हमसे माल लेना बंद कर दिया। आज अफसोस होता है कि इस दौरान मैं अपने ब्रांड को तव्वजो देता, तो तस्वीर कुछ और ही होती। अब भविष्य में हम अपने ही ब्रांड को बढ़ावा देंगे और तेल मार्केटिंग कंपनियों के लिए तेल बनाने से बचेंगे।

Hindi News / Jaipur / बिना मिल लगाए ही ब्रांडेंड कंपनियां बना रही Cooking Oil, राजस्थान में चल रहा तेल का खेल

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.