दरअसल, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले साल आयोजित भामाशाह सम्मान समारोह में कहा था कि राजस्थान की संस्कृति, संस्कार तथा परंपराओं से दान की प्रेरणा मिलती है और भावी पीढ़ी भी इन गौरवशाली परंपराओं को आत्मसात करे इसके लिए राज्य सरकार वैदिक शिक्षा व संस्कार बोर्ड की स्थापना करेगी। मुख्यमंत्री की इस घोषणा को साकार करने के लिए अब कवायद की जा रही है। जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय में पुरातन वैदिक ज्ञान—विज्ञान को फैलाकर संस्कृति और संस्कार बढ़ाने के लिए कवायद जारी है।
विश्वविद्यालय में कुलपति डॉ. अनुला मौर्य ने बताया कि राज्य सरकार के निर्देशानुसार बनाए जा रहे वैदिक संस्कार एवं शिक्षा बोर्ड की स्थापना से वेदों में निहित गूढ ज्ञान को आम लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा। वैदिक ज्ञान को लोगों तक पहुंचाने के साथ ही बोर्ड के माध्यम से रोजगारपरक पाठ्यक्रम संचालित किए जाएंगे। साथ ही, कौशल विकास के माध्यम से वेदों का अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों को आधुनिक दौर से जोड़कर प्राचीन विद्या को आगे बढ़ाया जाएगा। उन्होंने बताया कि बोर्ड के ड्राफ्ट के निर्माण के लिए समिति का गठन किया गया है। इस समिति में डॉ. सुषमा सिंघवी, डॉ. राजकुमार जोशी और फिरोज अख्तर बतौर सदस्य के रूप में शामिल हैं। समिति 20 जुलाई तक रिपोर्ट सौंपेगी।