भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने आपातकाल की बरसी पर दी अपनी प्रतिक्रिया में कहा है, ‘’भारत उन सभी महानुभावों को नमन करता है, जिन्होंने भीषण यातनाएं सहने के बाद भी आपातकाल का जमकर विरोध किया। ये हमारे सत्याग्रहियों का तप ही था, जिससे भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों ने एक अधिनायकवादी मानसिकता पर सफलतापूर्वक जीत प्राप्त की।‘’
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष होंगे कार्यकर्ताओं से मुखातिब भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया “आपातकाल: भारतीय राजनीति का काला अध्याय” विषय पर वर्चुअल संगोष्ठी को समोधित करेंगे। वे सुबह 10.30 बजे फेसबुक लाइव के ज़रिये पार्टी नेताओं-कार्यकर्ताओं से रु-ब-रु होंगे। इधर भाजपा ने ‘आपातकाल’ को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी जोर-शोर से अभियान जारी रखा हुआ है। फेसबुक और ट्विटर पर तो पार्टी सुबह से ही सक्रीय दिखाई दी। कांग्रेस और आपातकाल विरोधी पोस्ट एक के बाद एक धडाधड तरीके से अपलोड किये जा रहे हैं।
आपातकाल की ख़ास बातें- 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक का 21 महीने की अवधि में भारत में आपातकाल घोषित था। तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन आपातकाल की घोषणा कर दी थी। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादास्पद और अलोकतांत्रिक काल था। आपातकाल में ना सिर्फ चुनाव स्थगित हुए बल्कि नागरिकों के अधिकारों को भी समाप्त कर दिया गया। इंदिरा गांधी के राजनीतिक विरोधियों को कैद कर लिया गया और प्रेस पर प्रतिबंधित लगा दिया गया। प्रधानमंत्री के बेटे संजय गांधी के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर पुरुष नसबंदी अभियान भी चलाया गया।
सोशल मीडिया पर भाजपा हमलावर ‘आपातकाल’ की बरसी पर आज भाजपा योजनाबद्ध तरीके से सोशल मीडिया के ज़रिये कांग्रेस पार्टी का विरोध जता रही है। भाजपा आज के दिवस को काला दिन बताते हुए कांग्रेस को घेर रही है। पार्टी की ओर से #Emergency1975HauntsIndia को ट्रेंड किया जा रहा है।
ये किये गए पोस्ट.. ‘’ कांग्रेस की काली करतूत और भारतीय लोकतंत्र के सबसे दुःखद अध्याय 25 जून 1975 आपातकाल के विरोध में उठे हर स्वर का हृदय से वंदन। ‘’ ‘’ 25 जून 1975, कांग्रेस द्वारा देश पर थोपा गया आपातकाल लोकतंत्र का काला अध्याय है ।‘’
‘’26 जून 1975 को सरकार की आलोचना करने वाले लालकृष्ण आडवाणी और हजारों अन्य विपक्षी नेताओं को देशभर से गिरफ्तार कर लिया गया। पूरा विपक्ष अब सीखचों के पीछे कैद था।‘’ ‘’आपातकाल के अनुमति पत्र पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर से पहले ही लोकनायक जयप्रकाश नारायण, मोरारजी देसाई और अटल बिहारी वाजपेयी जी जैसे शीर्ष राष्ट्रीय नेताओं के साथ सैंकड़ों समर्थकों को गिरफ्तार करके जेलों में डाल दिया गया।‘’
‘’ कांग्रेस ने नागरिक स्वतंत्रता को बुरी तरह से कुचल डाला और समाचार पत्रों पर पूरी सख्ती के साथ सेंसरशिप लागू करवाई। संसद को दरकिनार कर अधिकारपत्र के जरिए आपातकाल जारी रखने के लिए इंदिरा गांधी ने राष्ट्रपति से बार-बार ‘आर्डिनेंस’ हासिल किए।‘’