हालांकि कांग्रेस से रिश्ता जोड़ने के सवाल पर देवी सिंह भाटी ने कहा कि मेरे टुकड़े कर दो, तब भी कांग्रेस में नहीं जाऊंगा। पार्टी को जनभावनाओं को समझने की नसीहत देते हुए उन्होंने कहा कि इससे पहले कद्दावर नेता जसवंत सिंह की अनदेखी की गई। इसका नुकसान बाड़मेर में उठाना पड़ा है।
सूबे के सीएम डिप्टी सीएम तीन दिनों से दनादन जनसभाएं कर रहे हैं, वहीं बीजेपी आपसी कलह के फेर में प्रदेश कार्यलाय में बैठकों से ही बाहर नहीं आ पा रही। दो महीने पहले जयपुर शहर बीजेपी की बगावत पार्टी को ऐसी भारी पड़ी की मेयर पद हाथ से जाता रहा। यहां तक कि समितियों के चेयरमैन भी नए मेयर की मर्जी के बन गए।
लंबे समय से बीकानेर में दो दिग्गज बीजेपी नेताओं की टकराहट पार्टी को परेशान किए थी, शुक्रवार को वहां भी राजनैतिक धमाका हो गया। बीजेपी के पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। भाटी ने इस मसले पर कहा कि पार्टी में जयचंदों की जगह नहीं होनी चाहिए। अपनी पुत्रवधु के विधानसभा चुनावों में हारने का जिम्मेदार अर्जुन मेघवाल को मानने वाले भाटी ने इस बड़े निर्णय का जिम्मेदार भी मेघवाल को ही बताया।
इस्तीफे में भाटी ने मेघवाल पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया है। भाटी ने कामना की है कि मेघवाल की जगह पार्टी इस बार लोकसभा चुनाव में किसी और को टिकट दे। सात बार विधायक रहे भाटी शुरू से मेघवाल के मुखर विरोधी रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाटी का विरोध बीकानेर सीट पर मेघवाल के लिए सिरदर्द साबित हो सकता है। अटकलें ये भी हैं कि मेघवाल की सीट बदलकर उन्हें गंगानगर भेजा जा सकता है। बहरहाल भाटी ने मेघवाल की प्रदेश से लेकर केन्द्रीय नेताओं तक को शिकायत की, कोई सुनवाई न होने पर इस्तीफा दे दिया।