उन्होंने कहा कि लगता है डोटासरा नाथी के बाड़े से आई चैकअप कराके आए है। इस वजह से उन्हें मंच पर एक भी ओबीसी का वक्ता दिखाई नहीं दिया। कांग्रेस की नीतियां हमेशा से विभाजनकारी राजनीति की रही हैं। कांग्रेस तुष्टिकरण और वर्ग विभेद की राजनीति करती है। किसी राष्ट्रीय पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष गैर जिम्मेदाराना और लापरवाह ढंग से इस तरह के आरोप लगाते हैं यह दुर्भाग्यपूर्ण है। आपको बता दें कि मंगलवार को बीजेपी के प्रदर्शन के बाद डोटासरा ने कहा था कि प्रदर्श में जितने भी वक्ता थे, उनमें से एक भी ओबीसी का नहीं था। एक भी ओबीसी के नेता को बोलने का मौका नहीं दिया गया। जबकि बीजेपी ओबीसी हितैषी होने का राग अलापती रहती है।
आपके पास पप्पू तो हम क्या करें ?
उन्होंने कहा कि डोटासरा कहते है कि भाजपा बार-बार नरेंद्र मोदी को बुलाती है। इसमें क्या गलत है। हमारे पास पीएम मोदी जैसा वैश्विक नेतृत्व हैं, जिन्होंने देश का नाम विश्व में बढ़ाया है। उनके पास पप्पू हैं तो हम क्या करें ?
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राजस्थान में ओबीसी की स्थिति बदतर
उन्होंने मोदी सरकार के नौ वर्ष के कार्यकाल में ओबीसी वर्ग के लिए कामों का ब्योरा रखा और प्रदेश की गहलोत सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष हंसराज अहीर ने पांच से अधिक प्रदेशों का दौरा किया, जिसमें राजस्थान में ओबीसी वर्ग से जुडी़ अनियमितताएं पाई गई। प्रदेश के घोषणावीर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद ओबीसी वर्ग के हैं, इसके बावजूद प्रदेश में पिछडा वर्ग के लोगों की स्थिति बदतर है। नॉन क्रीमिलेयर लोगों के माता-पिता की आय के बजाय पूरे कुटुंब की आय को आधार मानकर उन्हें क्रीमिलेयर श्रेणी में रखा जा रहा है, जिसके चलते ये लोग आरक्षण के लाभ से वंचित हो रहे हैं। इसके अलावा प्रदेश के सात जिलों डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, उदयपुर, पाली, राजसमंद और सिरोही में ओबीसी के डांगी, देवासी सहित अन्य पिछड़ा वर्ग की जातियों के जाति प्रमाण पत्र नहीं बनाए जा रहे जो कि संविधान विरूद्ध है।