कोटा से भाजपा के पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से हाल ही में भाजपा का स्लोगन ‘मोदी का परिवार’ हटा दिया। जिसके बाद मंगलवार को गुंजल ने सोशल मीडिया पर राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की कविता ‘याचना नहीं, अब रण होगा’ के कुछ अंश पोस्ट किए है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि प्रहलाद गुंजल जल्द ही कांग्रेस ज्वॉइन कर सकते है।
हाड़ौती में बीजेपी का सबसे बड़ा गुर्जर चेहरा प्रहलाद गुंजल पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के करीबी नेता है। पिछले राजनीतिक घटनाक्रम के अनुसार देखा जाए तो लगातार गुंजल पार्टी संगठन में उपेक्षा का शिकार हो रहे हैं। वसुंधरा राजे के हाथ से प्रदेश की बागडोर जाने के बाद गुंजल को विधानसभा चुनाव 2023 में टिकट भी नहीं दिया गया।
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राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो प्रहलाद गुंजल और ओम बिरला में कई सालों से मतभेद चल रहे हैं। यह भी गुंजल का भाजपा को छोड़कर जाने का बड़ा कारण है। गुंजल के समर्थक फिलहाल बीजेपी संसदीय क्षेत्र प्रत्याशी ओम बिरला की कार्यशैली से दिक्कत बता रहे हैं।
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