जालोर जिले की मात्र एक सीट ही भाजपा ने सबसे ज्यादा कमजोर मानी है। भाजपा के लिए इन जिलों की स्थिति इसलिए भी मजबूत है क्यों कि कांग्रेस का इन जिलों में मात्र एक ही विधायक है। तीन जिलों को मिलाकर दो लोकसभा सीटें बनी हुई हैं। ये दोनों सीटें भी भाजपा 2014 के लोकसभा चुनाव से ही लगातार जीतती आ रही है।
गुजरात का बड़ा प्रभाव
जालोर और सिरोही जिले की सीमाएं गुजरात की सीमा से सटी हुई है। दोनों ही जिलेे आदिवासी बहुल हैं। जालोर और सिरोही इलाज के लिए बड़ी संख्या में गुजरात जाते हैं, वहीं दोनों जिलों के व्यापार को भी गुजरात प्रभावित करता है। दोनों ही जिले चिकित्सा और व्यापार की दृष्टि से गुजरात पर निर्भर हैं। पीएम कई मौकों पर प्रदेश के इन जिलों में यह भी कहते रहे हैं कि एक बार गुजरात के विकास को भी देखें और अपने जिलों के हालात भी देखें।
राजनीतिक स्थिति जालोर- 5 विधानसभा सीटों में से 4 भाजपा के पास है, जबकि एक कांग्रेस के पास है। पाली- 6 विधानसभा सीटों में से पांच भाजपा के पास है, जबकि एक निर्दलीय के खाते में है। कांग्रेस का यहां एक भी विधायक नहीं है।
सिरोही- 3 विधानसभा सीटों में से दो भाजपा के पास है, जबकि एक निर्दलीय के खाते में है। यहां भी कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं है।
जिलेवार कौनसी सीटें किस श्रेणी में
जिलेवार कौनसी सीटें किस श्रेणी में
पाली- सोजत, पाली और बाली भाजपा के लिए ए श्रेणी की सीटें है, जबकि जैतारण, मारवाड़ जंक्शन, सुमेरपुर बी श्रेणी की सीटें हैं। सिरोही- रेवदर ए श्रेणी की सीट है, जबकि सिरोही और पिंडवाड़ा बी श्रेणी में हैं।
जालोर- भीनमाल ए श्रेणी की सीट है, जबकि आहोर, जालोर, रानीवाड़ा बी श्रेणी में है। सांचोर डी श्रेणी में है ।