भाजपा के पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा ने मदरसा बोर्ड विधेयक के माध्यम से मदरसों को वैधानिक दर्जा देने का विरोध किया है। आहूजा ने कहा कि मैंने दो महीने पहले राज्य सरकार से मांग की थी कि तबलीगी जमात और मदरसों पर प्रतिबंध लगाया जाए। इनकी शिक्षा और पाठ्यक्रम की पद्धति देश के खिलाफ है। मगर राजस्थान में तथाकथित अल्पसंख्यक मंत्री ने मदरसों को स्वायत्तशासी बना दिया। मदरसों को वो सारे पावर दिए गए हैं जो शिक्षा विभाग के स्कूलों को है। मदरसा बोर्ड को संपूर्ण स्वायत्तशासी शक्तियां दे दी है। यानि कक्षा का वर्गीकरण, सिलेबस और टीचर्स मदरसा बोर्ड खुद तय करेगा। इससे बड़ा दुर्भाग्य नहीं हो सकता है।
आहूजा ने कहा कि इनको मुस्लिम वोट चाहिए वो लें। हम मुस्लिम विरोधी नहीं हैं। हम हिन्दू सांप को दूध पिलाते हैं, चींटी को दाना देते हैं, एक पौधे को तुलसी मां कहते हैं इसलिए हम किसी मत विचार के विरोधी नहीं हो सकते। लेकिन गहलोत सरकार मुस्लिमों के लिए खुशामद और तुष्टिकरण की नीति अपनाती आई हैं। आहूजा ने कहा कि केंद्र सरकार ने 370 और 35 ए खत्म किया। क्योंकि एक देश में दो प्रधान दो विधान नहीं चल सकते। लेकिन अब शिक्षा विभाग के समकक्ष मदरसा बोर्ड को खड़ा कर रहे हैं। मदरसा बोर्ड को स्वायत्तशासी शक्ति नहीं देनी चाहिए। शिक्षा विभाग के समकक्ष खड़ा नहीं करना चाहिए। उनकी भर्ती और पैराटीचर्स को सरकार को अपने कंट्रोल में रखना चाहिए।
शेखावत को लाकर दी थी किताबें आहूजा ने कहा कि मैंने भैरोसिंह शेखावत को चार पुस्तकें उर्दू की लाकर दी थी। उन किताबों में राष्ट्रद्रोही और देशद्रोही सिलेबस हैं। आहूजा ने कहा कि जरूरत पड़ी तो नियमों का पालन करते हुए मदरसा बोर्ड को वैधानिक दर्जा देने का जबर्दस्त विरोध किया जाएगा।