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जयपुर

इंडिया इज सेफ फॉर वुमन का संदेश दे रही वैशाली भगत मास्टर

इंडिया इज सेफ फॉर वीमन के साथ ही वीमन एम्पावरमेंट का संदेश दे रही हैं Vaishali Bhagat Master जो पेशे से आर्किटेक्ट हैं, ऑर्गेनिक फार्मिंंग करती हैं, लेकिन बाइक राइडिंग के प्रति उनके पैशन ने उन्हें एक अलग पहचान दी है।

जयपुरOct 08, 2023 / 09:28 pm

Rakhi Hajela

इंडिया इज सेफ फॉर वुमन का संदेश दे रही वैशाली भगत मास्टर

इंडिया इज सेफ फॉर वुमन का संदेश दे रही वैशाली भगत मास्टर

जयपुर।
इंडिया इज सेफ फॉर वीमन के साथ ही वीमन एम्पावरमेंट का संदेश दे रही हैं Vaishali Bhagat Master जो पेशे से आर्किटेक्ट हैं, ऑर्गेनिक फार्मिंंग करती हैं, लेकिन बाइक राइडिंग के प्रति उनके पैशन ने उन्हें एक अलग पहचान दी है। मूल रूप से गुजरात निवासी वैशाली शादी के बाद जयपुर आईं और यहीं की होकर रह गईं। सोलो राइडर के रूप में अपनी पहचान बनाने वाली वैशाली ने राइड करना उस समय शुरू किया जबकि अधिकांश महिलाएं गृहस्थ जीवन में ही फंसकर रह जाती हैं। यानी 41 साल की उम्र में उन्होंने अपने पैशन को फॉलो करना शुरू किया।
पिता की बाइक लेकर निकली थी
वैशाली के मुताबिक बाइक चलाना उन्हें पहले से ही पसंद था और कहीं ना कहीं मन में यह इच्छा भी थी कि वह बाइक के जरिए दुनिया देखे। शादी से पहले एक बार अपने पिता की बाइक लेकर वह निकली थी और इस दौरान चोटिल भी हुईं लेकिन शादी के बाद घर की जिम्मेदारियों और अपने प्रोफेशन को समय देते हुए बाइक राइडिंंग का शौक मन में ही कहीं दब कर रह गया। जब बेटा कुछ बड़ा हुआ तो लगा कि अब कुछ समय खुद को देने की जरूरत है। वैशाली कहती हैं कि मेरे पति ऐसे में मेरा सबसे बड़ा सपोर्ट सिस्टम बने। मैंने पहली राइड 2011 में सूरत में अपनी स्कूल की रियूनियन में जाने के लिए की। इस दौरान मैंने तकरीबन 2600 किलोमीटर का सफर किया। जब मेरे टीचर्स को इस बात का पता चला तो वह भी अचरज में आ गए। इस राइड से पूर्व भी मैं अपने काम के लिए बाइक लेकर ही निकलती थी, इस दौरान मेरी मुलाकात ट्रेफिक सिग्नल पर एक फेमस बाइक राइडर से हुई। वह भी मुझे बाइक चलाते देखकर आश्चर्य चकित रह गए क्योंकि उस दौरान जयपुर में किसी फीमेल को बाइक चलाते हुए नहीं देखा गया था। उन्होंने मुझे अपने राइडर ग्रुप से मिलवाया। इस समय ना तो सोशल मीडिया था और ना ही लोग इंटरनेट फ्रेंडली थे, लेकिन इस राइड से मेरा खुद पर भरोसा बढ़ा और मैंने इसी तरह से छोटी छोटी सोलो राइड करना शुरू कर दिया, धीरे धीरे मेरे दूसरे शहरों के बाइक राइडर्स से सम्पर्क हुआ और एक फ्रेंड सर्किल बनना शुरू हो गया।
इस सफर में मैने इंडिया पाकिस्तान बॉर्डर का सफर तय किया। पूरा सफर मिट्टी से भरा हुआ था। कई बार ऐसा समय भी आया कि मिट्टी ने पूरी सडक़ ही ब्ल्ॉाक कर दी थी, रेत के टीलों के बीच गर्मी में यह सफर करना मेरे लिए किसी चैलेंज से कम नहीं था।
बनाया फीमेल बाइक राइडर्स का ग्रुप
इसके बाद मैंने फीमेल बाइक राइडर्स का ग्रुप बनाया। आज मेरी उम्र 53 साल है, बेटा यूएसए सेटल हो चुका है लेकिन मेरी बाइक की जर्नी लगातार जारी है। अपनी इस जर्नी में मैंने कई रिकॉर्ड भी बनाए। मैंने ईस्ट टू वेस्ट ऑफ इंडिया की राइड की और इंडिया बुक रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाया। पूरा देश मैं अपनी बाइक के जरिए नाप चुकी हूं।
वैशाली के मुताबिक आमतौर पर लोगों का मानना है कि किसी महिला का इस प्रकार सोलो राइड करना उसकी सुरक्षा की दृष्टि से खतरनाक हो सकता है लेकिन मेरा अनुभव कभी ऐसा नहीं रहा। यहां तक कि यूपी और बिहार जैसे राज्यों जिन्हें महिलाओं के लिए असुरक्षित माना जाता है वहां के लोग भी जरूरत होन पर आपकी मदद ही करते हैं। इसके बाद भी मेरा मानना है कि जब भी किसी राइड पर जाएं तो उससे पहले पूरा होमवर्क करके ही जाना चाहिए। राइड का पूरा प्लान बनाएं। गूगल मैप की मदद लें और देश के दूसरे हिस्सों के बाइक राइडर्स से सम्पर्क में रहें।
वैशाली के मुताबिक कुछ समय पूर्व उन्होंने फीमेल बाइक राइडर का एक और ग्रुप बनाया है इस ग्रुप के जरिए हम डिफरेंट सोशल कॉज कर रहे हैं। फिर भी डोनेशन ड्राइव हो या फिर गरीब बच्चों की मदद करने का काम हो। हम अपनी राइड्स के जरिए वीमन एम्पावरमेंट को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहे हैं, हमारा कहना है कि हर महिला को आत्मनिर्भर बनने की जरूरत है, मैं महिलाओं से कहती हूं कि उन्हें अपने बैंक अकाउंट तक खुद ही हैंडल करना आना चाहिए। यह नही कि अगर पैसों से जुड़ा कोई काम करना है तो वह अपने पति या बच्चों पर निर्भर हो जाएं।

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