नई दिल्ली। पिछले दो साल में आईआईटी(IIT) के 2461 और आईआईएम(IIM) के 99 छात्रों ने अपना संस्थान छोड़(Left) दिया। अहम बात ये है कि इन दोनों संस्थानों में दाखिला पा लेना ही जिंदगी की बड़ी उपलब्धि और होनहार छात्रों का एक सपना(Dream) होता है। इंस्टीट्यूट छोडऩे वालों में आईआईटी के 48 फीसदी स्टूडेंट और आईआईएम के 62.6 प्रतिशत छात्र आरक्षित वर्ग यानी रिजर्व कोटे से हैं। आईआईटी छोडऩे वालों में सबसे ज्यादा 782 छात्र आईआईटी दिल्ली से हैं, जबकि आईआईएम छोडऩे वालों में सबसे ज्यादा 17 छात्र इंदौर के हैं, इनमें भी नौ छात्र आरक्षित वर्ग से हैं। हाल ही में जारी की गई मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय की रिपोर्ट(HRD Report) में ये खुलासा(Reveal) किया गया है।
-शैक्षणिक तनाव-दबाव भी मुख्य कारण प्रवेश परीक्षा में आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के लिए कट-ऑफ कम होता है, लेकिन कॉलेज में पास होने के लिए अंक सभी के लिए एक समान है। इनमें से कुछ छात्र दबाव से निपटने में नाकाम रहते हैं। एेसे में शैक्षणिक तनाव कॉलेज छोडऩे का एक मुख्य कारण है।
-हाई स्टैण्डर्ड ऑफ एजुकेशन भी जिम्मेदार -आईआईएम इंदौर के निदेशक हिमांशु राय का कहना है कि सामान्य वर्ग के छात्र भी कॉलेज छोड़ते हैं।
-ड्रॉपआउट के कई कारण हैं। जो छात्र पहली बार अकेले रहने आते हैं, वे कोर्स और उच्च शैक्षणिक मानकों के कारण अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते।
-आईआईएम इंदौर ज्यादा छात्रों को दाखिला देता है, इसलिए यहां के सबसे ज्यादा छात्र कॉलेज छोड़ते हैं।
-कमजोर छात्रों के लिए अतिरिक्त कक्षाएं कराना भी अप्रत्क्ष रूप से दबाव बढ़ाने का कारण बन सकता है।