गहलोत सरकार के साढ़े 3 साल बीतने के बाद अब एक बार फिर से सरकार में मंत्रिमंडल फेरबदल की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। जयपुर से लेकर दिल्ली तक मंत्रिमंडल फेरबदल की चर्चाएं जोरों पर हैं। प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर गहलोत सरकार के तीसरे और अंतिम मंत्रिमंडल फेरबदल को लेकर पार्टी के शीर्ष नेताओं ने भी संकेत दिए हैं।
मंत्रिमंडल फेरबदल की चल रही चर्चाओं के बीच मंत्रिमंडल में भागीदारी से मेहरूम रहे 13 जिले के विधायकों में भी अब आस जगने लगी है। मंत्रिमंडल में भागीदारी से वंचित रहे 13 जिलों के कार्यकर्ताओं में भी चर्चा है कि गहलोत सरकार के अंतिम मंत्रिमंडल फेरबदल में इन जिलों को प्रतिनिधित्व मिलेगा या नहीं। मंत्रिमंडल में भागीदारी से वंचित रहे 13 जिलों में कई जिले तो ऐसे हैं जहां पर विधानसभा चुनाव में पार्टी ने छप्पर फाड़ जीत दर्ज की थी।
ये 13 जिले मंत्रिमंडल में भागीदारी से मेहरूम
जिन 13 जिलों को मंत्रिमंडल में भागीदारी नहीं मिल पाई है उनमें उदयपुर, प्रतापगढ़, डूंगरपुर, सिरोही, धौलपुर,टोंक सवाई माधोपुर हनुमानगढ़, गंगानगर, चूरू ,अजमेर, जोधपुर, सीकर शामिल हैं।
जोधपुर- सीकर से सर्वाधिक सीटें
दिलचस्प बात तो यह है कि जोधपुर जिले की 10 में से 7 सीटों पर कांग्रेस पार्टी का कब्जा है तो वहीं सीकर जिले की 8 में से 7 सीटों पर कांग्रेस पार्टी का कब्जा है। एक कांग्रेस पृष्ठभूमि के निर्दलीय विधायक हैं जो सरकार को समर्थन दे रहे हैं।
हालांकि जोधपुर की सरदारशहर सीट से विधायक अशोक गहलोत सरकार में मुख्यमंत्री हैं तो वहीं सीकर के लक्ष्मणगढ़ से विधायक गोविंद सिंह डोटासरा प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष हैं लेकिन इन दोनों के अलावा किसी अन्य विधायक को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया है। हालांकि दोनों जिलों में कुछ लोगों को राजनीतिक नियुक्तियां देकर बोर्ड-निगम का चेयरमैन बनाया गया है।
आदिवासी अंचल के 3 जिलों को भी नहीं मिली भागीदारी
वहीं आदिवासी अंचल के 3 जिले ऐसे हैं जिन्हें मंत्रिमंडल में भागीदारी नहीं मिली है इनमें डूंगरपुर, प्रतापगढ़ और उदयपुर शामिल है। हालांकि बांसवाड़ा जिले से दो विधायक हैं दोनों को ही मंत्री बनाया हुआ है।
4 जिलों को सबसे ज्यादा मंत्रिमंडल में भागीदारी
गहलोत सरकार के मौजूदा मंत्रिमंडल में 4 जिले ऐसे हैं जिन्हें सबसे ज्यादा भागीदारी मिली हुई है। इनमें जयपुर, भरतपुर, दौसा और बीकानेर शामिल हैं। जयपुर जिले से मंत्रिमंडल में 4, भरतपुर जिले से 4, दौसा जिले से तीन और बीकानेर जिले से तीन मंत्री हैं।
टोंक से भी नहीं भागीदारी
दूसरी ओर प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और टोंक से विधायक सचिन पायलट के जिले से भी कांग्रेस पार्टी के तीन विधायक हैं लेकिन तीनों को ही मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल पाई है। हालांकि सचिन पायलट पहले सरकार में डिप्टी सीएम रह चुके हैं लेकिन सियासी संकट के दौरान उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था।
6जिलों से एक-एक मंत्री
6 जिले ऐसे भी हैं जिनसे मंत्रिमंडल में 1-1 विधायक को मंत्री बनाकर प्रतिनिधित्व दिया हुआ है उनमें भीलवाड़ा, बाड़मेर, करौली, जालोर, बूंदी और जैसलमेर है। भीलवाड़ा से रामलाल जाट, बाड़मेर से हेमाराम चौधरी, करौली से रमेश मीणा, जालोर से सुखराम बिश्नोई, बूंदी से अशोक चांदना और जैसलमेर से साले मोहम्मद हैं।
3 जिलों से नहीं कांग्रेस का कोई विधायक
प्रदेश में तीन जिले ऐसे भी हैं जहां पर कांग्रेस का कोई विधायक नहीं है। इनमें पाली, झालावाड़ और सिरोही है। हालांकि सिरोही से निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा मुख्यमंत्री गहलोत के सलाहकार हैं और सरकार को समर्थन दे रहे हैं।
विधानभा चुनाव के चलते जातीय और क्षेत्रीय संतुलन साधने का होगा प्रयास
वहीं दूसरी ओर चर्चा यह भी है कि संभावित तीसरे और अंतिम मंत्रिमंडल फेरबदल के जरिए कांग्रेस पार्टी प्रदेश में सवा साल के बाद होने वाले विधानसभा चुनाव मे जातीय और क्षेत्रीय संतुलन साधने का प्रयास करेगी। माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल में शामिल होने से मेहरूम रहे जिलों को मौका मिल सकता है।
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