देश में सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए केन्द्र सरकार ने दिसंबर 2021 में 10 अरब डॉलर की स्कीम का भी ऐलान किया। पिछले साल अमरीका की चिप मेकर कंपनी माइक्रोन टेक्नोलॉजी ने गुजरात में बड़ा निवेश किया। यह कंपनी सेमीकंडक्टर की असेंबली और टेस्ट फैसिलिटी बनाएगी और 2024 के अंत तक उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है। इस बीच राजस्थान ने इस क्षेत्र में बाजी मार ली है। भिवाड़ी की सहस्र सेमीकंडक्टर्स ने देश में मेमोरी चिप का कमर्शियल प्रोडक्शन शुरू कर दिया है। ऐसे में सहस्र सेमीकंडक्टर्स ने माइक्रोन को पीछे छोड़ दिया, जिससे यह भारत की पहली चिप मैन्युफैक्चरिंग कंपनी बन गई है। यह कंपनी जल्द ही दूसरा फेज शुरू करने जा रही है।
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फिक्की राजस्थान (एमएसएमई कमेटी) चेयरमैन के एनके जैन का कहना है कि सेमीकंडक्टर चिप बनाने में राजस्थान की अग्रणी भूमिका हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य सरकार सेमी कंडक्टर मेकिंग का प्लांट राजस्थान में लगवाने का प्रयास करें, क्योंकि सेमीकंडक्टर चिप का निर्माण होने पर यहां क्वार्ट्ज और सिलिका सेंड की वैल्यू बढ़ जाएगी। इससे राजस्थान में राजस्व का इजाफा होगा और लाखों लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
सीआइआइ सदस्य निर्मल मूंदड़ा का कहना है कि राजस्थान में सिलिका सेंड की भरपूर उपलब्धता है, अभी तक ग्लास इंडस्ट्री में इसका उपयोग होता है। सेमीकंडक्टर चिप के लिए रॉ मैटेरियल की प्रमुख भूमिका है।उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी ने लेखानुदान में राजस्थान इकोनामिक रिवाइवल टास्क फोर्स गठन की घोषणा की है, इस टास्क फोर्स को सेमीकंडक्टर चिप मेकिंग को लेकर राजस्थान की ओर से तथ्यों के साथ पूरी प्रोजेक्ट रिपोर्ट केंद्र सरकार के समक्ष पेश करनी चाहिए, ताकि यहां बड़ा निवेश आ सके। रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायल की कंपनी टावर ने सरकार से इंसेंटिव की डिमांड की है। प्रस्ताव के मुताबिक टावर भारत में 65 नैनोमीटर और 40 नैनोमीटर चिप बनाएगी। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे में राज्य सरकार पहल कर निवेश लाने का प्रयास करती है तो राजस्थान को फायदा मिलना तय है।