ताकि नहीं बैठ सकें फर्जी अभ्यर्थी
नाम नहीं छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि भर्ती परीक्षाओं में बायोमेट्रिक अटेंडेंस लागू करने की योजना बनाई गई है। वन टाइम वेरीफिकेशन लागू करने के बाद आयोग के पास अभ्यर्थियों का डाटा अपलोड हो रहा है। आधार कार्ड में अपलोड अंगुलियों के निशान को भी सर्वर पर रखा जाएगा। इसे बायोमेट्रिक मशीन से लिंक किया जाएगा। परीक्षा केंद्रों पर मशीन पर ज्यों ही अभ्यर्थी बायोमेट्रिक अटेंडेंस करेगा उसका डाटा ऑटो जनरेट हो जाएगा।
केंद्र-राज्य सरकार जारी करेंगे सूचना
समान सूचना आचरण अधिनियम (यूआईपीए)-2019 में बायोमेट्रिक निशानी का प्रावधान है। आयोग ने केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और राज्य सरकार को पत्रावली भेजी है। दोनों स्तर पर बायोमेट्रिक अटेंडेंस की विधिवत अधिसूचना जारी होगी। इसके बाद ही नवाचार की शुरुआत होगी। मालूम हो कि साल 2021 में पूर्व अध्यक्ष डॉ. भूपेंद्र यादव ने भी अभ्यर्थियों की बायोमेट्रिक अटेंडेंस के लिए सरकार और कार्मिक विभाग को पत्र भेजा था।
अभी यह है प्रक्रिया
– वन टाइम रजिस्ट्रेशन में फोटो और वांछित जानकारी होती है अपलोड
– भर्ती परीक्षा के प्रवेश पत्र ऑनलाइन होते हैं जनरेट
– चयनित अभ्यर्थी काउंसलिंग में विस्तृत आवेदन पत्र करते हैं प्रस्तुत
– आयोग करता है शैक्षिक दस्तावेज, मूल आवेदन पत्र, अटेंडेंस शीट की जांच
– पुख्ता जांच के बाद अंतिम रूप से चयनित अभ्यर्थी के नाम भेजे जाते हैं मूल विभाग को
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यह मामले रहे सुर्खियों में
-2021 में सब इंस्पेक्टर परीक्षा के दौरान अलवर के परीक्षा केंद्र से ओएमआर शीट की वीडियो वायरल
-2019 में उदयपुर और पाली में अभ्यर्थियों तक पहुंच गए थे ब्लूटूथ और मोबाइल
-2018 में बीकानेर में वरिष्ठ अध्यापक हिंदी का पेपर निजी स्कूल प्रधानाचार्य,कोचिंग सेंटर संचालक ने किया था वायरल
-वरिष्ठ अध्यापक संस्कृत (माध्यमिक शिक्षा विभाग) भर्ती-2022 में 5 लाख रुपए देकर बैठा डमी अभ्यर्थी
-राजस्व ग्रेड चतुर्थ भर्ती परीक्षा -2022 के प्रवेश पत्र और जन्मतिथि में हुई हेराफेरी
एक्सपर्ट कमेंट
बायोमेट्रिक अटेंडेंस निश्चित तौर पर फर्जीवाड़ा रोकने का बेहतर माध्यम है, लेकिन सरकार, आयोग, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग स्तर पर कई तैयारियां करनी होंगी। तकनीक का जितना बेहतर इस्तेमाल होगा, उतना ही परीक्षाएं पारदर्शिता से होंगी। इसके लिए बिजली का बैकअप, कंप्यूटर-बायोमेट्रिक मशीन सहित कई संसाधन भी जरूरी होंगे। आरपीएससी को इससे काफी मदद मिलेगी।
डॉ. शिवसिंह राठौड़, पूर्व अध्यक्ष, आरपीएससी