पत्रिका से बातचीत के प्रमुख अंश-
सवाल- आप केन्द्र में मंत्री बने हैं, इसे किस रूप में देखते हैं। आपका संगठन का लम्बा अनुभव रहा है।
जवाब- भारतीय जनता पार्टी में काम करते हुए हमें जो जिम्मेदारी मिलती है, उसे पूरी ईमानदारी और निष्ठा से पूरी करना ही हमारा धर्म है। मैंने पार्टी संगठन में भी काम किया है और अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सरकार में काम करने का अवसर दिया है। मेरी प्राथमिकता है कि जो भी जिम्मेदारी मिली है, उसे पूरी मेहनत से निभाऊं।
सवाल- आपको दो सबसे महत्वपूर्ण मंत्रालय दिए गए हैं, अब तक किस तरह का चैलेंज सामने आया है?
जवाब– हर एक काम की कुछ चुनौतियां जरूरी होती हैं। मुझे जो दो मंत्रालय मिले हैं, उन दोनों मंत्रालयों में भी पीएम मोदी की सरकार बनने के बाद सरकार की गुड गवर्नेन्स की नीति के तहत ही काम हुआ है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन के मोर्चे पर मंत्रालय ने अच्छा काम किया है। जलवायु परिवर्तन को लेकर प्रधानमंत्री की एक वैश्विक दृष्टि है, जिसे पूरा विश्व स्वीकार कर रहा है। श्रम और रोजगार मंत्रालय में श्रम कानूनों के माध्यम से सरकार ने चीजों को ठीक करने का काम किया है। दोनों मंत्रालयों के माध्यम से जनहित के मुद्दों को पूरा करने का प्रयास करूंगा।
सवाल- श्रम कानूनों में बदलाव को लेकर अलग-अलग राय है। आप क्या मानते हैं, कितना और क्या- क्या बदलाव जरूरी समझते हैं।
जवाब- बदलाव के विषयों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा और बहस जरूरी होती है। देश में श्रमिकों का एक बड़ा हिस्सा असंगठित क्षेत्र में कार्यरत है। जब श्रमिकों के हित से जुड़ी कोई नीति या योजना बनाते हैं, तो हमें उस बड़े असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों का ख्याल रखने की जरूरत होती है। श्रम कानूनों में जो बदलाव हुए हैं, उसमें इसी बात का ध्यान रखा गया है कि संगठित क्षेत्र के साथ-साथ जो छोटे-छोटे असंगठित क्षेत्र के समूह हैं, उन्हें भी उसका लाभ पहुंचे।
सवाल- जलवायु परिवर्तन का एक बडा मुद्दा विश्व में छाया हुआ है। आप इसे किस रूप में देखते हैं। आप इस मंत्रालय में रहते हुए क्या करना चाहते हैं, जो देश और विश्व के हित में है।
जवाब- जलवायु परिवर्तन के मामले में पीएम की दृष्टि बिल्कुल स्पष्ट और विश्व को दिशा देने वाली है। जलवायु परिवर्तन से सम्बंधित चुनौतियों को विश्व के सभी विकसित एवं विकासशील देश स्वीकार कर रहे हैं। चाहे पेरिस जलवायु समझौता हो या अन्य वैश्विक मंचों पर हुई चर्चाएं हों। हर प्रकार से जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को महत्व मिला है। देश की भूमिका देखते हैं तो प्रधानमंत्री ने पेरिस जलवायु समझौते के समय इस विषय पर पूरे विश्व के समक्ष भारत की दृष्टि को स्पष्ट करते हुए कहा था कि विश्व को वन क्षेत्र बढ़ाने होंगे, कार्बन उत्सर्जन में 30-35 प्रतिशत की कमी लानी होगी तथा ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों को बढ़ावा देना होगा। जलवायु परिवर्तन की जो वैश्विक चुनौती है, उसे गंभीरता से लेते हुए उससे निपटने के लिए काम कर रहे हैं।
सवाल- आप राजस्थान से राज्यसभा सांसद हैं, राजस्थान के लिए अपने मंत्रालयों में क्या- क्या करना चाहेंगे?
जवाब- मंत्रालयों के तहत जो भी उचित कदम जनता के हित में, राजस्थान के हित में और देश के हित में होंगे वो सारे कदम उठाने से मैं कहीं भी पीछे नहीं हटूंगा। सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास यानी जनभागीदारी समाहित हो। इसी तरह से राजस्थान के लिए काम करेंगे।
सवाल- आप जब से मंत्री बने हैं, तब से राजस्थान भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच एक चर्चा जोरों पर है और वो यह कि आप भी राजस्थान के मुख्यमंत्री पद के चेहरे होंगे। आपका क्या कहना है?
जवाब- पहली चीज कि मेरी जानकारी में ऐसी कोई चर्चा नहीं है, लेकिन जैसा कि आप कह रहे हैं कि ऐसी चर्चा है, तो यही कहूंगा कि वो निराधार है। भारतीय जनता पार्टी में अनेक वरिष्ठ नेता हैं, जिनमें मैं आज भी सीखता और समझता हूँ। अत: इस तरह की चर्चा का कोई अर्थ नहीं है।
सवाल- संगठन से सत्ता में तो आप चले गए, लेकिन राजस्थान में संगठन को मजबूती मिले। इसके लिए क्या करना चाहेंगे?
जवाब- राजस्थान में संगठन मजबूत है। राजस्थान में हर वो सांगठनिक गतिविधि चल रही है, जो केंद्र या प्रदेश की ओर से दी जाती है। यह अवश्य है कि संगठन को और विस्तार व अधिक मजबूती देने के लिहाज से पार्टी का केन्द्रीय नेतृत्व या प्रदेश नेतृत्व जब भी मुझे कोई निर्देश देगा तो मैं उसके अनुरूप अपना योगदान करूंगा। वैसे संगठन से जुड़ा यह सवाल तो राजस्थान के सत्ताधारी दल से होना चाहिए कि उनका संगठन है भी या नहीं।