प्रार्थना पत्र में आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री शर्मा के अदालत की अनुमति लिए बिना विदेश जाने से अग्रिम जमानत की शर्त का उल्लंघन किया है। इधर, प्रदेश कांग्रेस और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि मुख्यमंत्री स्वयं अगर इस तरह कानून से खिलवाड़ करेंगे तो जनता में क्या संदेश जाएगा। इस मामले पर मुख्यमंत्री को अविलंब अपना पक्ष रखना चाहिए, जिससे सच जनता के सामने आ सके। दरअसल, 14 सितम्बर 2011 को मेव समाज और गुर्जर समाज आमने-सामने हो गए थे। इसके कारण भरतपुर जिले के गोपालगढ़ में 10 लोगों की मौत हो गई थी। प्रकरण की जांच सीबीआई कर रही है।
कोर्ट पहुंचा ये मामला
जयपुर निवासी वकील सांवरमल चौधरी ने प्रार्थना पत्र पेश किया कि सितम्बर 2011 में बलवा हुआ। इसमें 15 लोगों की गिरफ्तारी हुई। इसी मामले में भजनलाल शर्मा, गृह राज्यमंत्री जवाहर बेढम सहित अन्य को 10 सितम्बर 2013 को सशर्त अग्रिम जमानत दी गई। जमानत में शर्त है कि न्यायालय की अनुमति बिना आरोपी देश छोड़कर नहीं जा सकते। चौधरी ने इसी शर्त का उल्लंघन होना बताते हुए भजनलाल शर्मा की अग्रिम जमानत निरस्त करने का आग्रह किया है।
संवैधानिक पद से यह त्रुटि गंभीर- कांग्रेस
मामला न्यायालय में पहुंचने के बाद प्रदेश की सियासत गर्मा गई। प्रदेश कांग्रेस से सोशल मीडिया पर लिखा कि शर्मा मुख्यमंत्री के ज़िम्मेदार एवं संवैधानिक पद पर हैं। ऐसे में यह त्रुटि गंभीर है। सीबीआई के दर्ज प्रकरण में शर्मा 2013 से जमानत पर हैं। ऐसे में कोर्ट से बिना अनुमति लिए विदेश जाना गंभीर है।