कांग्रेस नेता राहुल गांधी यात्रा को तपस्या बता चुके हैं। अपनी तपस्या को भंग नहीं होने देने के लिए उन्होंने राजस्थान के सियासी संग्राम को थामने की कोशिश की है। हालांकि यात्रा के पहुंचने से पहले ही झालावाड़ में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के खेमों में पार्टी बंटी हुई दिख रही है। जहां गहलोत समर्थकों ने होर्डिंग्स, पोस्टर, बैनर पर पायलट का फोटो नहीं लगाया है, वहीं पायलट समर्थक गहलोत के फोटो से परहेज कर रहे हैं। बूंदी के गुर्जर बाहुल्य क्षेत्र से सवाई-माधोपुर, दौसा व अलवर में पायलट का खासा असर है। इसका प्रभाव यात्रा में दिख सकता है।
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दौसा में भी हालात ऐसे ही
राजस्थान सरकार में मंत्री परसादी लाल मीणा खुले तौर पर गहलोत के साथ है। पिछले दिनों उन्होंने पायलट पर सवाल खड़े करते हुए कहा था कि मानेसर जाने को लेकर पायलट को जवाब देना चाहिए। जबकि मुरारीलाल मीणा ने गहलोत के पायलट को गद्दार कहने पर तंज कसते हुए कहा था कि पायलट कद्दावर नेता है। वहीं मंत्री ममता भूपेश भी विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करने वालों में शामिल रही हैं।
कोटा: भरत सिंह के निशाने पर रहे भाया
कोटा के दरा, मंडाना गुर्जर बाहुल्य इलाके है। इसी तरह कोटा में भी गहलोत-पायलट समर्थक नेता एक-दूसरे को नहीं सुहाते हैं। खुद नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल खुले तौर पर पायलट को कई बार आड़े हाथ ले चुके हैं। जबकि कोटा जिले की सांगोद से विधायक भरत सिंह के निशाने पर अक्सर खान मंत्री प्रमोद जैन भाया रहे हैं।
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पायलट समर्थक नेताओं के निशाने पर चांदना
बूंदी जिला गुुर्जर आंदोलन का केन्द्र रह चुका है। हिंडोली से विधायक व मंत्री अशोक चांदना को सीएम गहलोत का नजदीकी और पायलट के खिलाफ माना जाता है। इसके चलते पायलट समर्थक नेताओं के निशाने पर चांदना रहते आए हैं। यात्रा के दौरान भी नारेबाजी देखने को मिल सकती है।
सवाई-माधोपुर: चारों विधायक कांग्रेसी, कलह बरकरार
2018 में चारों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की। सवाई माधोपुर से विधायक दानिश अबरार दो साल पहले तक पायलट खेमे में थे, लेकिन अब गहलोत खेमे में माने जाते हैं। हालांकि बयानबाजी से दूर रहे हैं। वहीं गंगापुर से विधायक रामकेश मीणा कई बार गहलोत के पक्ष में बयान दे चुके हैं।
अलवर: जितेन्द्र सिंह का प्रभाव
कांग्रेस महासचिव जितेन्द्र सिंह का क्षेत्र होने से उनका खासा प्रभाव है। इसी जिले से बसपा से दो विधायक चुने गए थे, फिलहाल यह कांग्रेस में शामिल हो गए। यह दोनों ही विधायक ढुलमुल होते रहे हैं।