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जयपुर

भजनलाल सरकार के फोकस में सिर्फ ‘जयपुर’… दूसरे शहरों में मास्टर प्लान की अनदेखी; हाईकोर्ट ने जताई चिंता

Rajasthan News : राजस्थान हाईकोर्ट ने भले जयपुर सहित प्रदेश के बड़े शहरों के मास्टर प्लान की अनदेखी पर चिंता जताते हुए विस्तृत आदेश दिया, लेकिन राज्य सरकार जयपुर में ईकोलॉजिकल जोन से संबंधित संशोधन तक ही अटकी रही। हाईकोर्ट के आदेश पर 5 साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति का आदेश दिया, लेकिन राज्य सरकार का फोकस जयपुर के मास्टर प्लान तक ही सीमित रहा।

जयपुरMay 20, 2024 / 09:47 am

Omprakash Dhaka

Bhajanlal Government Rajasthan High Court Master plan master plans of big cities Supreme Court ecological zone
जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने भले जयपुर सहित प्रदेश के बड़े शहरों के मास्टर प्लान की अनदेखी पर चिंता जताते हुए विस्तृत आदेश दिया, लेकिन राज्य सरकार जयपुर में ईकोलॉजिकल जोन से संबंधित संशोधन तक ही अटकी रही। हाईकोर्ट के आदेश पर 5 साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति का आदेश दिया, लेकिन राज्य सरकार का फोकस जयपुर के मास्टर प्लान तक ही सीमित रहा। बाकी शहरों के मास्टर प्लान पर चिंता को लगभग भुलाए रखा गया।
हाईकोर्ट ने जनवरी 2017 में मास्टर प्लान की अनेदखी कर राज्य सरकार के मनमाने फैसले लेने पर रोक लगाई थी। खासकर, इकोलोजिकल क्षेत्र में छेड़छाड़ करने से रोका गया, लेकिन सरकार इस पाबंदी से राहत पाना चाहती रही है। जयपुर सहित प्रदेश के बड़े शहरों के मास्टर प्लान का मामला 2019 में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।
सुप्रीम कोर्ट ने एक निजी समूह की विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) के आधार पर राज्य सरकार व अन्य को नोटिस जारी कर हाईकोर्ट के आदेश पर यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया, सरकार ने भी इस एसएलपी का पक्ष मजबूत करने के लिए अपनी एसएलपी पेश की और 2022 में ईकोलॉजिकल जोन को लेकर संशोधन के लिए प्रार्थना पत्र पेश किया। इसके अलावा एक-दो बार को और छोड़ दें, तो सुनवाई के लिए मामला सुप्रीम कोर्ट में 13 बार लगने के बावजूद 10 बार तो केवल तारीख हीं मिली। इसके बावजूद सरकार ने तत्काल सुनवाई कर मामले पर बहस शुरू कराने का कोई ज्यादा प्रयास नहीं किया।

सरकार इन मुद्दों पर चाह रही राहत …

  • राज्य में अवैध निर्माण धड़ल्ले से हुए हैं, जिनको सरकार कम्पाउंड कराना चाहती है। इस बीच सरकार ने नए अवैध निर्माण रोकने पर भी ज्यादा सख्ती नहीं दिखाई, प्रयास शिथिलता देने का ही रहा।
  • जयपुर शहर में 5 हजार से ज्यादा स्वीकृत आवासीय योजना है, जिनमें जेडीए व नगर निगम बार-बार भू-उपयोग बदलते रहे हैं। कोर्ट ने भू-उपयोग में मास्टर प्लान के विपरीत किसी तरह के बदलाव पर रोक लगा दी, लेकिन निजी रीयल एस्टेट समूह को सुप्रीम कोर्ट से यथास्थिति का आदेश मिलने से अधिकारियों को फिर बदलाव की छूट मिल गई।
  • आवासीय कॉलोनियों में भूखण्डों को जोड़कर बहुमंजिला इमारतों के निर्माण पर रोक, लेकिन सरकार इसमें भी शिथिलता चाहती रही।
  • आवासीय व व्यावसायिक गतिविधि को लेकर सुनियोजित प्लान बने, लेकिन जयपुर शहर में ही 8 हजार से ज्यादा कॉलोनियाें में से 98 फीसदी में गैर आवासीय गतिविधि संचालित होने के बावजूद सरकार इस पर राहत चाहती रही।
  • सरकारी जमीन पर बसी कॉलोनियों के नियमन पर रोक है, लेकिन यह वोटबैंक होने से प्रशासन शहरों के संग अभियान में इनको नियमित करने का प्रयास किया। इसे हाईकोर्ट ने ही रोका।
  • मास्टर प्लान में निर्धारित ईकोलॉजिकल जोन में संशोधन के लिए सरकार ने 2022 में सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थना पत्र पेश किया।
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