नगरीय विकास मंत्री ने ऐसे मामलों पर 9 जनवरी को रोक लगाई थी। उस समय उन्हाेंने पुरजोर आशंका जताई थी कि जयपुर में ही ऐसे बड़े मामले हैं, जहां घोटाला किया गया। आगामी आदेश तक इन मामलों में काम रोकने के निर्देश दिए थे। इसकी रिपोर्ट जेडीए ने मंत्री को (बतौर जेडीए अध्यक्ष) सौंप भी दी, लेकिन 127 दिन बाद भी अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया कि आखिर किन मामलों में गड़बड़ी हुई और कौन-कौन जिम्मेदार हैं। जयपुर में ही दो बड़े कॉलोनाइजर निशाने पर हैं।
जमीन अवाप्ति के बदले मुआवजे के रूप में दो से तीन गुना ज्यादा वैल्यू की जमीन दे दी गई। कुछ कॉलोनाइजर्स ने पहले प्रभावित किसानों से कम दाम में जमीन खरीद का एग्रीमेंट किया और फिर अफसरों से सांठगांठ कर मुआवजे के रूप में 25 प्रतिशत विकसित जमीन अच्छी जगह आवंटित करा ली। अकेले जयपुर में जोन 8, 11, 12, 14 के इलाकों में बड़े स्तर पर ‘घोटाला’ हुआ।
फागी रोड पर लाखना से वाटिका की दिशा में 6.8 किमी लम्बी, 160 फीट चौड़ी सेक्टर रोड प्रस्तावित है। यहां से 12 खातेदारों को 25 फीसदी जमीन जगतपुरा महल रोड पर दे दी गई। सेक्टर रोड रूट पर जमीन की बाजार दर 6-7 हजार रुपए वर्गगज है, जबकि मुआवजे वाली जमीन की दर 30 से 32 रुपए प्रति वर्गगज है। मुआवजा देने के लिए वेल्यूएशन में गड़बडी हुई।
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केस 02 विकसित कॉरिडोर में दी जमीनशिवदासपुरा फाटक से पहले रेलवे सेक्टर रोड प्रस्तावित है। अवाप्ति के लिए अवार्ड 2013 में जारी किया गया, लेकिन मामला अटक गया। कुछ कॉलोनाइजर्स ने यहां किसानों से एग्रीमेंट कर लिया। मुआवजे के रूप में जमीन रिंग रोड के आउटर एरिया में विकसित कॉरिडोर और जयचंदपुरा में दी गई।
बंदेमातरम रोड से रिंग रोड व वेस्ट-वे हाइट योजना से रिंग रोड तक दो 200 फीट चौड़ी सेक्टर रोड बननी है। वंदेमातरम रोड वाली सेक्टर रोड से प्रभावित कुछ चुनिंदा खातेदारों किसानों को जेडीए की शिव एनक्लेव योजना में जमीन दे दी गई। वेस्टवे हाइट योजना से रिंग रोड के बीच 5 खातेदार ऐसे हैं, जिन्हें रिंग रोड के विकसित कॉरिडोर में मिश्रित भूउपयोग की 25 प्रतिशत जमीन दी गई। जमीन की कीमत अवाप्तशुदा जगीन से डेढ़ से दोगुना ज्यादा है।