दरअसल, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सात नवम्बर तक पर्यावरणीय मंजूरी नहीं लेने वाली खानों को बंद करने का आदेश दिया था। ऐसे में राजस्थान की करीब 23 हजार खानों पर बंद होने का खतरा मंडराने लगा था। साथ ही 15 लाख लोगों का रोजगार भी खतरे में पड़ गया था। 15 लाख लोगों का रोजगार बचाने के लिए राजस्थान सरकार गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी और अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवमंगल शर्मा ने जल्द सुनवाई के लिए गुहार लगाई थी। जिस पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डी वाई चन्द्रचूड ने राज्य सरकार का आग्रह मान लिया था।
इस मामले में 12 नवंबर को फिर से होगी सुनवाई
इस मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी और राजस्थान के अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने अपना पक्ष रखा। इन्होंने पर्यावरणीय नियमों की पालन करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष प्रदेश की 23 हजार खानों के लाइसेंस की समय सीमा बढ़ाने की अपील की। ऐसे में एनवायरमेंट क्लीयरेंस के अभाव में सुप्रीम कोर्ट ने खनन बंदी के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। अब इस मामले में 12 नवंबर को फिर से सुनवाई होगी। अच्छी बात ये है कि अभी फिलहाल, प्रदेश की 23 हजार खानें बंद नहीं होगी। जिससे 15 लाख लोगों के राेजगार पर संकट टल गया है। यह भी पढ़ें