जयपुर। अधिकांश नेता एक ही सीट को अपना गढ़ बनाने की जुगत में रहते हैं। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी बांसवाड़ा से लगातार 8 बार विधानसभा का चुनाव जीते। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रद्युम्न सिंह राजाखेड़ा सीट से ८ बार जीते। भाजपा नेता देवी सिंह भाटी को कोलायत से सात बार जीते। प्रदेश की राजनीति में एक नेता ऐसे भी रहे, जो ज्यादातर अलग-अलग सीटों से जीत दस बार विधानसभा में पहुंचे।
ये नेता थे भैरोंसिंह शेखावत, जिनकी 23 अक्टूबर को जयंती है। वे छबड़ा से तीन बार और बाली से 2 बार को छोड़कर हर चुनाव अलग-अलग सीटों से जीते। खास बात यह थी कि उन्होंने यह उपलब्धि एक गैर कांग्रेसी नेता के रूप में हासिल की। शेखावत तीन बार मुख्यमंत्री और उपराष्ट्रपति रहे। उनकी लोकप्रियता ही वजह थी कि उन्हें राज्य के हर कोने से जनता का प्यार मिला। 1952 में जनसंघ के टिकट पर सीकर की दांतारामगढ़ सीट जीतकर शेखावत ने अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया। एक जमाने में शहरी लोगों की पार्टी समझे जाने वाली जनसंघ को अपने बूते शेखावत ने गांव-गांव तक पहुंचाया। लोकदल जनता दल के नेताओं को भाजपा में लाए। अटल बिहारी वाजपेयी व लाल कृष्ण आडवाणी के साथ भाजपा को देशव्यापी पहचान दिलाई।
ये तो हुआ शेखावत के राजनीतिक जीवन का एक पहलू। उनके साढ़े पांच दशक के राजनीतिक कैरियर का दूसरा पहलू अनोखा माना जा सकता है। 1952 से लेकर 1998 तक राज्य विधानसभा के कुल 11 चुनाव हुए और शेखावत ने सभी में हिस्सा लिया। सन् 1971 को छोड़, वे दस बार विधानसभा चुनाव जीते। शेखावत ने प्रदेश की दस सीटों से चुनाव लड़ा। इनमें से ८ पर वे जीते। गांधीनगर (जयपुर) (1971) तथा श्रीगंगानगर (1993) सीट पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
छबड़ा सीट से उन्होंने तीन बार तो किशनपोल व बाली से दो-दो बार और दांतारामगढ़, आमेर, निंबाहेडा, धौलपुर और श्रीमाधोपुर से एक बार जीत हासिल की। 1985,1990 व 1993 में शेखावत दो-दो सीटों से चुनाव लड़े थे।
हराने वाले अब भाजपा में शेखावत को 1971 में जयपुर शहर की गांधीनगर सीट पर कांग्रेस के युवा नेता जनार्दन सिंह गहलोत ने पटखनी दी थी। इसके बाद 1993 में शेखावत को गंगानगर सीट से हार का सामना करना पड़ा था। इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी राधेश्याम गंगानगर के हाथों शेखावत को हार का सामना करना पड़ा था। भाजपा के दिग्गज नेता को पराजित करने वाले जनार्दन सिंह गहलोत और राधेश्याम गंगानगर कांग्रेस छोडकऱ अब भाजपा की जड़ें मजबूत करने में जुटे हैं।
मेघवाल 6 जगह से जीते विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल भी सीट बदल बदलकर चुनाव लडऩे के लिए जाने जाते हैं। वे 1977 में पहली बार राजसमंद से जीते। इसके बाद वे अजमेर पूर्व से लड़े और जीते। 1991 का चुनाव वे निवाई सीट (उपचुनाव) से जीते। 1993 व 2013 में भीलवाड़ा की शाहपुरा सीट से जीता। मेघवाल ने 1989 में जालौर तथा 2004 में टोंक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
केंद्र में भी 1971 में उन्होंने बाड़मेर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से ताल ठोकी लेकिन हार बैठे। 1972 में मध्यप्रदेश से राज्यसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 2002 में भाजपा ने शेखावत को उपराष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाया। शेखावत जीते और पांच साल तक उपराष्ट्रपति रहे। आखिरी चुनाव उन्होंने 2007 में राष्ट्रपति पद के लिए लड़ा। इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।