जयपुर

जनसंघ का दीपक जलाने और भाजपा का कमल खिलाने में सबसे आगे रहे बाबोसा, 1923 में आज के दिन हुआ था जन्‍म

देश के उप और तीन बार राजस्थान से सीएम रहे भैरोंसिंह शेखावत का जन्म 23 अक़्टूबर 1923 को हुआ था।

जयपुरOct 23, 2022 / 09:18 am

Hiren Joshi

जनसंघ का दीपक जलाने और भाजपा का कमल खिलाने में सबसे आगे रहे बाबोसा, 1923 में आज के दिन हुआ था जन्‍म

देश की आजादी के बाद जब राजस्थान की राजनीति में हर तरफ कांग्रेस का बोलबाला था। राजे रजवाड़ों से लेकर प्रजामंडल के नेता तक कांग्रेस की बैलों की जोड़ी के साथ थे। उस समय विपक्ष के रूप में जनता की आवाज बने नेताओं में प्रमुख थे भैरोसिंह शेखावत। राजस्थान के बाबोसा। राजस्थान में जनसंघ का दीपक जलाने वाले और बाद में बनी भाजपा का कमल खिलाने वाले सबसे अग्रणी नेता भैरोसिंह शेखावत ही थे।
रविवार को शेखावत की जयंती है। इसमें भी खास बात यह है कि 1923 में सीकर जिले के दांता रामगढ़ में जन्में भैरोसिंह शेखावत का जन्मशती वर्ष अब शुरू होगा। राजस्थान के तीन बार मुख्यमंत्री और देश के उपराष्ट्रपति बने बाबासो को कौन भूल सकता है। 2002 में शेखावत को पार्टी ने उपराष्ट्रपति बनाया। बाबासा के नाम से प्रसिद्ध शेखावत प्रदेश के हर विधानसभा क्षेत्र में अधिकांश कार्यकर्ताओं को न केवल नाम से जानते और बुलाते थे बल्कि सबसे आत्मीय संबंध भी रखते थे।
आठ क्षेत्रों से जीते देश के अकेले नेता

संभवत: भारतीय राजनीति में शेखावत एक मात्र ऐसे नेता हैं जो आठ अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों से सदन में पहुंचे थे। पहली बार 1952 में दांता रामगढ़ से जीतकर इन्होंने मरुधरा में जनसंघ का दीपक जलाया। 1957 में शेखावत श्रीमाधोपुर से विधायक बने। 1962 और 1967 में जयपुर में किशनपोल से विधायक बने। 1977 में छबड़ा से जीते। तब शेखावत के नेतृत्व में राजस्थान में पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार बनी। खास बात यह है कि उस समय शेखावत राज्यसभा के सदस्य थे। जनसंघ ने इन्हें मध्यप्रदेश से उच्च सदन में भेजा था। मुख्यमंत्री बनने पर छबड़ा से उपचुनाव में जीते थे। फिर 1980 में भी छबड़ा से ही जीत दर्ज की। 1985 में निम्बाहेड़ा और आमेर से एक साथ जीते। उन्होंने आमेर सीट छोड़ दी थी। इसके बाद 1990 के चुनाव में शेखावत धौलपुर से चुने गए और पहली बार भाजपा की सरकार बनी। शेखावत ही मुख्यमंत्री बने। बाबरी मस्जिद विध्वंस पर राजस्थान में राष्ट्रपति शासन लग गया। इसके बाद 1993 में चुनाव हुए तो शेखावत बाली से चुने गए और मुख्यमंत्री बने। 1998 में भी बाली से ही विधायक चुने गए। इस बीच 1971 और 93 में गांधीनगर और श्रीगंगानगर से चुनाव में हार का सामना भी करना पड़ा। 93 में दूसरी सीट बाली में जीत दर्ज हो गई थी। 1972 में बाड़मेर से लोकसभा चुनाव भी लड़े लेकिन हार का सामना करना पड़ा।

राजनीति में अजातशत्रु

शेखावत भारतीय राजनीति में ऐसे शख्स थे जो अजातशत्रु थे। इनके राजनीतिक विरोधी कई थे लेकिन शत्रुता किसी से नहीं रही। वे खुद कहा करते थे कि मैं दोस्त बनाता हूं, दुश्मन नहीं। 1952 से 2002 तक प्रदेश की राजनीति में सक्रिय रहने के बावजूद शेखावत का रुतबा राष्ट्रीय नेता का ही रहा।
एकमात्र नेता जो सब चुनाव लड़े

शेखावत संभवत: भारतीय राजनीति में एक मात्र नेता हैं जिन्होंने करीब-करीब सब चुनाव लड़े। विधायक, सांसद, लोकसभा, राज्यसभा, उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति चुनाव तक में वे प्रत्याशी रहे।

Hindi News / Jaipur / जनसंघ का दीपक जलाने और भाजपा का कमल खिलाने में सबसे आगे रहे बाबोसा, 1923 में आज के दिन हुआ था जन्‍म

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.