घनश्याम तिवाड़ी: अपनी बनाई थी नई पार्टी
घनश्याम तिवाड़ी भाजपा के कद्दावर नेताओं में गिने जाते रहे हैं। वसुन्धरा राजे सरकार में मंत्री रहे थे। उन्होंने जून 2018 में भाजपा से बगावत करके भारत वाहिनी पार्टी भी बनाई थी। इसके पीछे एक ही कारण माना जाता रहा था कि उनकी पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे से अदावत थी। उन्होंने नई पार्टी ही नहीं बनाई बल्कि कांग्रेस का दामन भी थामा था। वर्ष 2018 में उन्होंने विधानसभा का चुनाव लड़ा। लेकिन वे अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए थे। इसके बाद वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांगे्रस का दामन भी थामा था।
मार्च 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान जयपुर में राहुल गांधी की चुनावी सभा हुई थी। उस समय वे कांग्रेस में चले गए थे। तिवाड़ी कांग्रेस में भले ही चले गए, लेकिन वे कांग्रेस की विचारधारा को अपना नहीं पाए। हालांकि कांग्रेस ने उन्हें लोकसभा चुनाव में स्टार प्रचारक तक बनाया था। तिवाड़ी आरएसएस से जुड़े होने और आपातकाल में जेल जाने के कारण अपनी विचारधारा से ही बंधे रहे थे।
इसके बाद 12 दिसम्बर 2020 में उनकी घर वापसी हुई। उनकी घर वापसी को वसुन्धरा राजे के खिलाफ माना गया था। इस तरह वे करीब दो साल तक अपने संगठन से दूर रहे थे।
इसके बाद जून 2022 को हुए राज्यसभा चुनाव में घनश्याम तिवाड़ी को टिकट मिला और वे राज्यसभा का चुनाव जीत गए।
किरोड़ीलाल मीणा: दस साल तक रहे भाजपा से दूर
किरोड़ीलाल मीणा भाजपा में लम्बे समय से जुड़े थे। वसुन्धरा राजे से दूरियां होने के कारण किरोड़ीलाल ने भाजपा से दूरी बना ली थी। गुर्जर आंदोलन के दौरान उन्होंने मंत्री पद से भी इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़ा और अपनी पत्नी गोलमा देवी को भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ मैदान में उतारा था। दोनों जीते और पत्नी को कांग्रेस सरकार में मंत्री पद भी मिला। इसके बाद वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में दौसा सीट से निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे। उन्होंने जीत भी हासिल की।
वर्ष 2013 के चुनाव के समय किरोड़ीलाल ने पीए संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) में शामिल हो गए। चुनाव में उन्होंने कई प्रत्याशी भी मैदान में उतार दिए थे। इस चुनाव में राजस्थान विधानसभा में कुल चार सीटें उनकी पार्टी को मिली।
इसके बाद मार्च 2018 से पहले किरोड़ीलाल ने घर वापसी करते हुए भाजपा में शामिल हो गए। इस तरह किरोडीलाल मीणा करीब दस साल तक भाजपा से बाहर रहे थे।
इसके बाद किरोड़ीलाल मीणा को राज्यसभा से भेजा गया। पिछले वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सात सांसदों को मैदान में उतारा था। इनमें किरोड़ीलाल मीणा का भी नाम था। उन्हें चुनाव लड़ाया गया। इस कारण उन्हें राज्यसभा से इस्तीफा देना पड़ा था। वे चुनाव जीते और राज्य सरकार में मंत्री बने हैं।
घनश्याम तिवाड़ी भाजपा के कद्दावर नेताओं में गिने जाते रहे हैं। वसुन्धरा राजे सरकार में मंत्री रहे थे। उन्होंने जून 2018 में भाजपा से बगावत करके भारत वाहिनी पार्टी भी बनाई थी। इसके पीछे एक ही कारण माना जाता रहा था कि उनकी पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे से अदावत थी। उन्होंने नई पार्टी ही नहीं बनाई बल्कि कांग्रेस का दामन भी थामा था। वर्ष 2018 में उन्होंने विधानसभा का चुनाव लड़ा। लेकिन वे अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए थे। इसके बाद वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांगे्रस का दामन भी थामा था।
मार्च 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान जयपुर में राहुल गांधी की चुनावी सभा हुई थी। उस समय वे कांग्रेस में चले गए थे। तिवाड़ी कांग्रेस में भले ही चले गए, लेकिन वे कांग्रेस की विचारधारा को अपना नहीं पाए। हालांकि कांग्रेस ने उन्हें लोकसभा चुनाव में स्टार प्रचारक तक बनाया था। तिवाड़ी आरएसएस से जुड़े होने और आपातकाल में जेल जाने के कारण अपनी विचारधारा से ही बंधे रहे थे।
इसके बाद 12 दिसम्बर 2020 में उनकी घर वापसी हुई। उनकी घर वापसी को वसुन्धरा राजे के खिलाफ माना गया था। इस तरह वे करीब दो साल तक अपने संगठन से दूर रहे थे।
इसके बाद जून 2022 को हुए राज्यसभा चुनाव में घनश्याम तिवाड़ी को टिकट मिला और वे राज्यसभा का चुनाव जीत गए।
किरोड़ीलाल मीणा: दस साल तक रहे भाजपा से दूर
किरोड़ीलाल मीणा भाजपा में लम्बे समय से जुड़े थे। वसुन्धरा राजे से दूरियां होने के कारण किरोड़ीलाल ने भाजपा से दूरी बना ली थी। गुर्जर आंदोलन के दौरान उन्होंने मंत्री पद से भी इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़ा और अपनी पत्नी गोलमा देवी को भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ मैदान में उतारा था। दोनों जीते और पत्नी को कांग्रेस सरकार में मंत्री पद भी मिला। इसके बाद वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में दौसा सीट से निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे। उन्होंने जीत भी हासिल की।
वर्ष 2013 के चुनाव के समय किरोड़ीलाल ने पीए संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) में शामिल हो गए। चुनाव में उन्होंने कई प्रत्याशी भी मैदान में उतार दिए थे। इस चुनाव में राजस्थान विधानसभा में कुल चार सीटें उनकी पार्टी को मिली।
इसके बाद मार्च 2018 से पहले किरोड़ीलाल ने घर वापसी करते हुए भाजपा में शामिल हो गए। इस तरह किरोडीलाल मीणा करीब दस साल तक भाजपा से बाहर रहे थे।
इसके बाद किरोड़ीलाल मीणा को राज्यसभा से भेजा गया। पिछले वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सात सांसदों को मैदान में उतारा था। इनमें किरोड़ीलाल मीणा का भी नाम था। उन्हें चुनाव लड़ाया गया। इस कारण उन्हें राज्यसभा से इस्तीफा देना पड़ा था। वे चुनाव जीते और राज्य सरकार में मंत्री बने हैं।
मदन राठौड़: बागी हो नामांकन दाखिल, एनवक्त पर नाम वापसी
2024 के राज्यसभा चुनाव के लिए पाली जिले के मदन राठौड़ को भाजपा ने मैदान में उतारा है। राठौड़ दो बार भाजपा से विधायक रह चुके हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में इन्हें टिकट नहीं मिला तो ये बागी हो गए थे। इन्होंने निर्दलीय ही सुमेरपुर विधानसभा सीट से नामांकन दाखिल कर दिया। हालांकि बाद में इन्हें भाजपा आलाकमान से निर्देश मिलने पर नाम वापस ले लिया। चुनाव के दौरान पाली जिले के जाडन में हुई चुनावी सभा के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इन्हें अपने पास बुलाया और मेहनत करने के लिए कहा। इसके बाद सोमवार को जारी हुए राज्यसभा चुनाव में मदन राठौड़ का नाम शामिल हुआ है।
2024 के राज्यसभा चुनाव के लिए पाली जिले के मदन राठौड़ को भाजपा ने मैदान में उतारा है। राठौड़ दो बार भाजपा से विधायक रह चुके हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में इन्हें टिकट नहीं मिला तो ये बागी हो गए थे। इन्होंने निर्दलीय ही सुमेरपुर विधानसभा सीट से नामांकन दाखिल कर दिया। हालांकि बाद में इन्हें भाजपा आलाकमान से निर्देश मिलने पर नाम वापस ले लिया। चुनाव के दौरान पाली जिले के जाडन में हुई चुनावी सभा के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इन्हें अपने पास बुलाया और मेहनत करने के लिए कहा। इसके बाद सोमवार को जारी हुए राज्यसभा चुनाव में मदन राठौड़ का नाम शामिल हुआ है।