खानवा पहली बार युद्ध के दौरान प्रयोग की गई तकनीकी का भी गवाह रहा है। यहीं से बाबर ने तोपखाने और बंदूकों को प्रयोग किया था। इस युद्ध की भयावहता के निशां यहां पहाडिय़ों पर बने हैं। युद्ध के दौरान बाबर के तोपखाने और बंदूकों ने पहाड़ियों को छलनी कर दिया था। इसके बावजूद राणा सांगा ने बाबर के तोपखाने का डटकर मुकाबला किया।
फतेहुपुर-सीकरी से 10 मील उत्तर-पश्चिम में स्थित खानवा युद्ध के दौरान महाराणा संग्रामसिंह (राणा सांगा) गंभीर घायल हो गए थे, जो बाबर से लड़ते रहे थे। जब उन्हें युद्ध स्थल से बाहर ले जाया गया तो सेना में निराशा छा गई थी।
यहां जन्में थे वीर योद्धा संग्राम सिंह संग्राम सिंह का जन्म राजस्थान के मालवा में राणा रायमल के घर हुआ था, जो मेवाड़ के राजपूत शासक थे। राणा सांगा का विवाह रानी कर्णावती के साथ हुआ। साल 1508 में मेवाड के राजा के रूप में राणा सांगा ने अपने पिता राणा रायमल के साम्राज्य के उत्तराधिकारी बने।
20 अप्रेल 1526 को बाबर ने पानीपत की लड़ाई में सुल्तान इब्राहिम लोदी को हराकर दिल्ली पर अधिकार कर लिया। इसके बाद राणा सांगा और बाबर के बीच 1527 में खानवा का युद्ध हुआ। हालांकि युद्ध के कारणों को लेकर इतिहासकारों में अनेक मत रहे हैं।