जयपुर

बार कौंसिल लागू नहीं करेगी संशोधन विधेयक के प्रस्ताव

बार कौंसिल ऑफ राजस्थान (Bar Council of Rajasthan) ने राजस्थान अधिवक्ता कल्याण निधि (संशोधन) विधेयक-2020के प्रस्तावों ( proposals) का विरोध करते हुए इसे लागू नहीं करने का निर्णय लिया है। कौंसिल ने विधेयक के प्रस्तावों को अधिवक्ता हितों के विपरीत बताते हुए राज्य सरकार (State government) से इस पर पुनर्विचार (Reconsideration) करने की मांग की है।

जयपुरMar 14, 2020 / 10:57 pm

vinod

बार कौंसिल लागू नहीं करेगी संशोधन विधेयक के प्रस्ताव

जोधपुर। बार कौंसिल ऑफ राजस्थान (Bar Council of Rajasthan) ने राजस्थान अधिवक्ता कल्याण निधि (संशोधन) विधेयक-2020 (Rajasthan Advocates Welfare Fund (Amendment) Bill-2020) के प्रस्तावों ( proposals) का विरोध करते हुए इसे लागू नहीं करने का निर्णय लिया है। कौंसिल ने विधेयक के प्रस्तावों को अधिवक्ता हितों के विपरीत बताते हुए राज्य सरकार (State government) से इस पर पुनर्विचार (Reconsideration) करने की मांग की है।
कौंसिल की साधारण सभा की शनिवार को यहां सैयद शाहीद हसन की अध्यक्षता में हुई बैठक में कौंसिल के 24 सदस्य शामिल हुए। बैठक में सर्वसम्मति से विधानसभा में 7 मार्च को पारित राजस्थान अधिवक्ता कल्याण निधि (संशोधन) विधेयक-2020 लागू नहीं करने का प्रस्ताव पारित किया गया। सदस्यों का कहना था कि राज्य सरकार ने कौंसिल के प्रस्तावित संशोधनों के विपरीत प्रावधान किए हैं। ये अधिवक्ता हितों के प्रतिकूल हैं। कौंसिल ने राज्यपाल, मुख्यमंत्री, विधि मंत्री एवं विधानसभा अध्यक्ष से संशोधित विधेयक को अधिसूचित नहीं करने और इसे पुनर्विचार के लिए वापिस कौंसिल को भेजने का अनुरोध करेगी। जल्दी ही कौंसिल के सदस्यों का प्रतिनिधिमंडल चेयरमैन की अगुवाई में राज्यपाल, मुख्यमंत्री, विधि मंत्री तथा विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात करेगा। बैठक में राज्य सरकार से राजस्थान अधिवक्ता कल्याण कोष में बराबरी का अंशदान तथा एकमुश्त 200 करोड़ रुपए का अंशदान देने की मांग की गई।
क्यों हो रहा है विरोध
कौंसिल और राज्य के अधिकांश अधिवक्ता संघ विधेयक में प्रस्तावित संशोधनों का विरोध कर रहे हैं। कारण कि वेलफेयर टिकट की राशि 25 रुपए से बढ़ाकर जिला न्यायालयों में 100 रुपए तथा हाईकोर्ट में 200 रुपए प्रस्तावित की गई है। इसी तरह कल्याण कोष में सदस्यता प्रवेश राशि 400 से बढ़ाकर 800 रुपए, वार्षिक चंदा राशि पांच वर्ष तक वकालत करने वालों के लिए 300 से बढ़ाकर 500 रुपए, पांच वर्ष से 10 वर्ष तक की वकालत के लिए 750 से बढ़ाकर 1500 रुपए तथा दस वर्ष व इससे अधिक वकालत पर 1250 रुपए से बढ़ाकर 2500 रुपए प्रस्तावित की गई है। सबसे ज्यादा बढ़ोतरी कल्याण कोष में आजीवन चंदा राशि को 17,500 रुपए से बढ़ाकर एक लाख रुपए की गई है, जबकि कौंसिल ने इतनी बढ़ोतरी प्रस्तावित नहीं की थी।

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