पुलिस मुख्यालय की सीआईडी ने कमिश्नरेट पुलिस को कहा है कि संदिग्ध बांग्लादेशियों के दस्तावेजों की जांच की जाए। दस्तावेज कैसे बनाए, इनके दस्तावेज बनाने में किन कर्मचारी और अधिकारियों की भूमिका है। दस्तावेज किस वर्ष बने और किस आधार पर बने। पुलिस सूत्रों के अनुसार दो माह से कमिश्नरेट पुलिस ने प्रशासन ने इन दस्तावेजों के बनने की जानकारी मांग रखी है, लेकिन नहीं मिली।
जयपुर में 300 के करीब रोहिंग्या मुस्लिम लोगों की पहचान की गई, जो यहां पर अवैध तरीके से रह रहे हैं। सीआईडी सूत्रों के मुताबिक, जयपुर कमिश्नरेट के सोडाला थाना अंतर्गत एक रोहिंग्या मुस्लिम युवक द्वारा एक बालिका से ज्यादती करने का मामला सामने आया है।
सीआईडी ने अभी जयपुर जिले में संदिग्ध बांग्लादेशियों की पहचान की है। इसके बाद राजस्थान के अन्य जिलों में इनकी पहचान की जाएगी, जिन्होंने स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत से यहां का वोटर कार्ड, राशन कार्ड और अन्य दस्तावेज बना लिए हैं। राजस्थान में जयपुर, अजमेर , अलवर और भरतपुर में बांग्लादेशी अधिक हैं। अन्य जिलों में इनकी संख्या अभी ना के बराबर है।
सीआईडी सूत्रों ने बताया कि बांग्लादेश से अवैध तरीके से सीमा पर कर आने वाले लोग पश्चिम बंगाल में स्थानीय प्रशासन से मिलीभगत कर स्थानीय पहचान पत्र बना लेते हैं। इससे भारतीय व बांग्लादेशी में अंतर करना मुश्किल हो जाता है और ये स्थानीय लोगों में घुलमिल जाते हैं।