उत्तर प्रदेश में कारसेवकों को अयोध्या से दूर रखने के लिए प्रशासन अधिक सख्त नजर आया तो लखनऊ से खेतों के रास्तों से पांचों जने रवाना हो गए और एक रात और दो दिन बाद सरयू नदी तट पर पहुंच गए। पैरों में छाले पड़ चुके थे और खून भी निकलने लगा था। यहां एक नाविक ने नि:शुल्क सरयू नदी पार करवाकर अयोध्या में प्रवेश कराया। यहां दो दिन विश्राम करने के निर्देश मिले।
2 नवम्बर 1990 को उमा भारती ने ऐलान किया कि कारसेवक बिना हथियार के रामलला जन्म स्थली पर पहुंचे। कड़ी सुरक्षा के कारण हमें अयोध्या की सड़कों पर रोक दिया गया। हजारों लोग सड़कों पर बैठ गए। इस दौरान कारसेवकों पर लाठियां बरसाई गई। कारसेवकों ने अयोध्या के घरों में शरण ली। लेकिन उत्तर प्रदेश का प्रशासन एक बार फिर सख्त हो गया और कारसेवकों को घरों से बाहर निकलने पर गोली मारने की चेतावनी दी गई।
इस पर कारसेवकों घरों से ज्यों ही बाहर निकले तो जवानों ने गोलियों की बौछार कर दी। पांच कारसेवकों में से महेन्द्र अरोड़ा जोधपुर वालों को हमारे सामने गोली मार दी गई। इसके बाद गोविंदनारायण बेसुध हो गए। उनके साथ अन्य घायल कारसेवकों को फैजाबाद अस्पताल में भर्ती कराया। होश आया तो सिर पर गहरी चोट लगने के साथ 14 टांके लगे थे और दाएं पैर के घुटने पर चोट थी।
अयोध्या में रामलला की सेवा के लिए राजस्थान से भेजी गई सवा चार किलो चांदी की थाल
राजस्थान के पांच कारसेवकों को गोली लगने के समाचार पत्रों में प्रकाशित हुए। जिसमें गोविन्द नारायण चौहान का भी नाम था। फागी में कारसेवक चौहान के घर पर सांत्वना देने वालों का तांता लग गया। पत्नी को चिकित्सालय में भर्ती कराना पड़ा। घर पर तीये की बैठक तक का आयोजन हो चुका था।
सूचना देने के बाद गोविन्द फागी पहुंचे
1990 में पत्रिका की ओर से अयोध्या में कवरेज कर रहे रिपोर्टर ने गोविन्द नारायण चौहान के बारे जानकारी दी। उन्होंने बताया कि गोविन्द फैजाबाद अस्पताल में घायलावस्था में भर्ती हैं। इसके बाद पत्रिका के रिपोर्टर ने गोविन्द नारायण से फैजाबाद अस्पताल में सम्पर्क कर फागी के लिए रवाना किया। वहां से पुलिस अभिरक्षा में रेलवे स्टेशन पर ट्रेन में बैठाकर जयपुर भेजा। यहां भी पुलिस प्रशासन ने जयपुर अस्पताल में जांच करवाकर घर छोड़ा तो समूचा कस्बा जय श्रीराम के जयकारों से गूंज उठा।
अयोध्या पहुंचा जयपुर का पहला जत्था, कारसेवक ने कहा-छुपते-छिपाते अयोध्या पहुंचे, तब वहां चल रही थी गोलियां
पिता बोले… मेरा बेटा राम के काम तो आया
उस समय फागी में कारसेवकों के जत्थे को रवाना करने की जिम्मेदारी संभालने वाले वयोवृद्ध श्याम सुन्दर ब्रह्मभट्ट ने बताया कि गोविन्द को गोली लगने के समाचार मिलने की जानकारी पिता सेवानिवृत शिक्षक रामेश्वर धाभाई को खेत पर काम करते समय दी तो वे दु:खी नहीं हुए और कहा मैं सौभाग्यशाली हूं कि मेरा बेटा राम के काम आया है। इस दौरान फागी सहित आसपास के सामाजिक कार्यकर्ता भड़क गए और मुख्य तिराहे पर टायर जलाकर विरोध प्रदर्शन करने पर लाठीचार्ज हुआ।