जयपुर

शिवयोग शक्ति के जरिए उठा सकते हैं खुशहाल जीवन का आनंद- अवधूत बाबा शिवानंद

दुनिया में भुखमरी से इतनी मौत नहीं हो रही है, जितनी मौतें ज्यादा खाने से हो रही हैं, क्योंकि ज्यादा खाने से खाना हमारी आंतों में जमा हो जाता है।

जयपुरDec 02, 2017 / 08:43 pm

पुनीत कुमार

जयपुर। सिद्धगुरु डॉ. अवधूत शिवानंद के सानिध्य में 1 से 8 दिसंबर तक जयपुर के मानसरोवर के शिप्रा पथ रैली मैदान में शिवयोग शिविर में हजारों श्रद्धालुओं ने शनिवार को कुण्डलिणी साधना की दीक्षा ग्रहण की। तो वहीं इस शिविर के दौरान अवधूत शिवानंद ने साधकों को मानव शरीर की जानकारी दी। इस दौरान उन्होंने कहा कि सभी लोग जानते हैं कि हमारा शरीर केवल एक ही है, जबकि बाकी चार शरीरों की उनको कोई जानकारी नहीं है।
 

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शिविर में आए लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने बताया कि सप्तऋषियों ने पांच शरीरों की व्याख्या की है, जो हमें दिखाई देता है, उसे स्थूल शरीर कहते हैं, इसको हमारा प्राण कोष संभालता है, जिसे दूसरा शरीर भी कहते हैं। इसके ऊपर मनोमय कोष, फिर ज्ञानमय कोष और इन सबके ऊपर आनंदमय कोष अथवा आनंदमय शरीर कहते हैं। वेदों के अनुसार सबसे कमजोर स्थूल शरीर होता है, जबकि सबसे ज्यादा शक्तिशाली आनंदमय शरीर होता है।
 

इस दौरान अवधूत ने खानपान को लेकर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि दुनिया में भुखमरी से इतनी मौत नहीं हो रही है, जितनी मौतें ज्यादा खाने से हो रही हैं, क्योंकि ज्यादा खाने से खाना हमारी आंतों में जमा हो जाता है, जो कई बार तो सालों तक आंतों में ही जमा रह जाता है। इसकी वजह से हमारे शरीर को बीमारियां जकड़ लेती हैं। हमें अपने खान-पान पर नियंत्रण रखना चाहिए। हम लोग जितना कम खाएंगे, उतना ज्यादा ही स्वस्थ रहेंगे। अगर इंसान सुबह 4-5 गिलास गुनगुना पानी पी लें तो ही हमारा शरीर स्वस्थ होना शुरू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि हमें चाय भी दूधरहित पीनी चाहिए और खाने के साथ-साथ अपनी दिनचर्या में उपवास को भी शामिल करना चाहिए। इतना ही नहीं एक इंसान को रोजाना 8 से 16 घंटे का उपवास रखना चाहिए।
 

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गौरतलब है कि मानसरोवर के वीटी रोड पर चल रहे इस कार्यक्रम में देश-विदेश से रोजाना लगभग तीन हजार लोग शामिल हो रहे हैं। जबकि 8 इस दिवसीय शिविर को ‘शाम्भवी’ और ‘श्रीविद्या’ दो भागों में बांटा गया है। जहां ‘शाम्भवी’ का आयोजन 1 से 4 दिसंबर तक जबकि ‘श्रीविद्या’ शिविर का आयोजन 5 से 8 दिसंबर तक आयोजित किया जाएगा। शिव-शिवा की साधना शिविर का मुख्य उद्देश्य मनुष्य की आंतरिक ऊर्जा को जगाना है। कार्यक्रमों में हज़ारों साधकों को धर्म से परे वेदों का दुर्लभ ज्ञान, शिवयोग शक्ति और एक खुशहाल जीवन जीने की शैली के परम ज्ञान से अनुग्रहित किया जाएगा।

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