जयपुर

राजस्थान विधानसभा उपचुनाव: चुनावी समर में उतर गई तीन पत्नियां, दो बेटे और एक भाई

Rajasthan By-Elections: राजस्थान विधानसभा की सात सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, लेकिन कांग्रेस व भाजपा के साथ-साथ क्षेत्रीय पार्टियों ने परिवारवाद को ही बढ़ावा देते हुए टिकट दिए हैं। सात सीटों पर उतरे उम्मीदवारों में से तीन पत्नियांं, दो बेटे व एक भाई चुनावी समर में उतरे हुए हैं।

जयपुरOct 25, 2024 / 06:24 pm

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राजेश दीक्षित/जयपुर
Rajasthan By-Elections: चुनावों में कार्यकर्ताओं की अपेक्षा परिवादवाद ज्यादा ही फोकस रहा है। परिवारवाद के खिलाफ पार्टियां एक-दूसरे पर भले ही कीचड़ उछालती रहीं हों, लेकिन कांग्रेस व भाजपा के साथ-साथ क्षेत्रीय पार्टियां भी इस परिवारवाद की बीमारी से अछूती नहीं रही हैं। इस समय राजस्थान विधानसभा की सात सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, लेकिन कांग्रेस व भाजपा के साथ-साथ क्षेत्रीय पार्टियों ने परिवारवाद को ही बढ़ावा देते हुए टिकट दिए हैं। सात सीटों पर उतरे उम्मीदवारों में से तीन पत्नियांं, दो बेटे व एक भाई चुनावी समर में उतरे हुए हैं।

ये हैं तीन पत्नियां, सभी अलग-अलग पार्टियों से


सात सीटों में तीन सीटों पर कार्यकर्ताओं की पत्नियों को प्रमुखता दी गई हैं। सबसे पहले सलूम्बर सीट की बात की जाए। यहां पर भाजपा के दिवंगत विधायक अमृतलाल मीणा की पत्नी शांता देवी को भाजपा ने टिकट दिया है। इसी तरह खींवसर सीट पर भी कांग्रेस ने डॉ. रतन चौधरी को मौका दिया है। इनके पति सेवानिवृत्त डीआईजी सवाईसिंह चौधरी हैं। जिन्हें वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से खींवसर सीट से ही टिकट मिला था। लेकिन वे वर्तमान सांसद हनुमान बेनीवाल से हार गए थे। इसके बाद सवाईसिंह भाजपा में भी शामिल हो गए। लेकिन पत्नी रतन चौधरी को कांग्रेस से टिकट मिलते ही इन्होंने भाजपा से त्यागपत्र दे दिया। इस बार इनकी पत्नी को टिकट देने में प्राथमिकता दी गई। इधर खींवसर में ही रालोपा के सांसद हनुमान बेनीवाल की पत्नी कनिका बेनीवाल को टिकट मिला है। ऐसे में इस बार तीन नेताओं की पत्नियां चुनावी मैदान में मोर्चा संभाले हुए हैं।

दो बेटे उतरे, एक सहानुभूति के सहारे तो दूसरे तीसरी पीढ़ी के दावेदार


इस उपचुनाव में दो बेटे भी मैदान में हैं। पहले रामगढ़ विधानसभा सीट की बात करते हैं। यहां से कांग्रेस के जुबैर खान विधायक थे। इनका निधन हो गया। इस कारण हो रहे उपचुनाव में जुबैर खान के बेटे आर्यन खान को कांग्रेस ने टिकट देकर “सहानुभूति कार्ड” खेला है। वहीं झुंझुनंू सीट पर एक बेटे को मौका मिला है। झुुुंझुनंू सीट से बृजेन्द्र ओला विधायक से सांसद बने। इस कारण यह सीट खाली हो गई। अब बृजेन्द्र ओला के बेटे अमित ओला को कांग्रेस ने टिकट दिया है। अमित ओला अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी के नेता है। इनके दादा शीशराम ओला पांच बार सांसद व आठ बार विधायक रहे हैं, वहीं इनके पिता बृजेन्द्र ओला लगातार चार बार विधायक व मंत्री भी रहे हैं। ओला परिवार के तीसरी पीढ़ी के अमित ओला इस बार पहली बार मैदान में उतरे हैं।

अपनी ही सरकार से “रूठे मंत्रीजी” के भाई को भाजपा ने दिया टिकट


इधर तीन पत्नी,दो बेटे के साथ ही सरकार से इस्तीफा दे चुके एक मंत्रीजी के भाई चुनावी दंगल में ताल ठोके हुए हैं। मंत्री किरोड़ीलाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा को भाजपा ने दौसा सीट से उतारा है। मंंत्री किरोड़ीलाल मीणा की क्षेत्र में अच्छी खासी पकड़ है। हालांकि इस वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में क्षेत्र में करारी हार के कारण उन्होंने नैतिकता के आधार पर मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। लेकिन उनका इस्तीफा अभी तक स्वीकार नहीं किया है। किरोड़ी लाल मीणा इन दिनों अपने भाई के लिए पूरे दमखम के साथ चुनावी मैदान में उतरे हुए हैं।
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