अशोक गहलोत ने कहा कि हमारी शुभकामनाएं हैं, हर सरकार अटेंप्ट करती है कि देश-विदेश से निवेश आए और वो लोग एमओयू करे और उसके बाद में इन्वेस्टमेंट भी आए। इवेंट होता है तो खूब प्रचार-प्रसार होता है। लेकिन MOU होने के बाद में 10-12 प्रतिशत ही इन्वेस्टमेंट आ पाता है। हमारे वक्त में भी हुआ था, मैं भी क्लेम नहीं कर सकता कि बहुत बड़ी संख्या में आए होंगे। समिट करवाना एक बात है, लेकिन धरातल पर इन्वेस्टमेंट आना एक बात है। इन्वेस्टर सोचता है कि सरकार का रवैया क्या है? फिर वह निवेश करता है।
रिफायनरी हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण पार्ट- गहलोत
उन्होंने आगे कहा कि कल रात में एक्स प्लेटफॉर्म पर पोस्ट भी किया कि रिफायनरी हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण पार्ट है। 40 हजार करोड़ का यह प्रोजेक्ट मनमोहन सरकार में मंजूर हुआ था। वर्तमान समय में आधुनिक टेक्नोलॉजी का प्रोजेक्ट आया था। दुर्भाग्य से सरकार बदल गई, मैंने 2023 में एचपीसीएल के चैयरमेन से मीटिंग की थी। तब उन्होंने कहा था कि दिसंबर में हम चालू कर देंगे। पता नहीं अब कब आएगा। रिफायनरी के साथ पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स खुलना जरूरी है, इससे ज्यादा रोजगार मिलेगा। प्रधानमंत्री जल्दी इसका काम करवाए। यह भी पढ़ें