जयपुर

क्या दिल्ली शिफ्ट हो रहे हैं अशोक गहलोत? लगातार दौरों से बढ़ी सुगबुगाहट; पहले भी मिल चुकी है बड़ी जिम्मेदारी

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लेकर एक आम चर्चा है कि जब भी राजस्थान में कांग्रेस सरकार रिपीट नहीं कर पाते है तो उन्हें दिल्ली में बड़ी जिम्मेदारी दी जाती रही है।

जयपुरDec 24, 2024 / 02:55 pm

Lokendra Sainger

ashok gehlot

Rajasthan Politics: राजस्थान में अशोक गहलोत की पहचान सियासी दांवपेच में माहिर नेता की रही है। सियासी अखाड़े में उनके दांव के सामने अच्छे-अच्छे से नहीं टिक पाते है, इसलिए उन्हें ‘जादूगर’ भी कहा जाता है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लेकर एक आम चर्चा है कि जब भी राजस्थान में कांग्रेस सरकार रिपीट नहीं कर पाते है तो उन्हें दिल्ली में बड़ी जिम्मेदारी दी जाती रही है।
ऐसे में सियासी गलियारों में चर्चा है कि पार्टी अशोक गहलोत राष्ट्रीय महासचिव का पद दे सकती है। हाल ही में दिल्ली प्रवास के दौरान उनकी कांग्रेस के कई बड़े नेताओं से मुलाकात हुई। जिसके बाद से सियासी चर्चाएं तेज हो गई है।

गांधी परिवार के भरोसेमंद नेता माने जाते है गहलोत

अशोक गहलोत ने इंदिरा गांधी से लेकर राहुल गांधी तक कांग्रेस की तीन पीढ़ियों के साथ काम किया। इतना ही नहीं वो हर दशक में गांधी परिवार के सबसे वफादार और भरोसेमंद ग्रुप के नेताओं में शामिल रहे है। पार्टी में अशोक गहलोत को बड़ी जिम्मेदारी मिलने के संकेत मिल रहे हैं। ऐसे में विधानसभा चुनावों में हुई हार के बावजूद भी गहलोत का कद घटने की बजाय बढ़ सकता है।

मिली सकती है ये बड़ी जिम्मेदारी

राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि अशोक गहलोत को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष या फिर राष्ट्रीय महासचिव बनाया जा सकता है। ऐसे में कोई भी पद अगर गहलोत को मिलता है तो वे दिल्ली से ही अब राजनीति करने वाले हैं। हालांकि अशोक गहलोत ने पहले भी कई बार क्लियर किया है कि वो राजस्थान में रहकर ही राजनीति करेंगे।
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sonia gandhi and kharge

सोनिया और खड़गे का रहेगा अहम रोल

सूत्रों के मुताबिक राजस्थान छोड़कर देश की राजनीति में गहलोत को बड़ी जिम्मेदारी मिलने के पीछे पार्टी की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी और मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का रोल अहम रह सकता है। अब देखने वाली बात ये होगी कि अशोक गहलोत को पार्टी की ओर से क्या बड़ी जिम्मेदारी मिलने वाली है, ये तो आने वाला समय ही बताएगा। हालांकि अशोक गहलोत मुख्यमंत्री रहने के साथ-साथ पूर्व में कई बड़े पदों पर रह चुके हैं।

2003 में कांग्रेस की हार के बाद मिली जिम्मेदारी

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत रहते कभी पार्टी को सत्ता में वापसी नहीं करवा पाए। लेकिन वो जब भी हारे संगठन ने उन्हें खूब इस्तेमाल भी किया। गहलोत साल 1998 से 2003 तक मुख्यमंत्री रहे। जिसके बाद जनवरी, 2004 से 16 जुलाई 2004 तक गहलोत ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में विशेष आमन्त्रित सदस्य के रूप में कार्य किया। 17 जुलाई 2004 से 18 फरवरी 2009 तक गहलोत ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव के रूप में कार्य किया।
Ashok Gehlot

2013 में हार के बाद फिर मिली जिम्मेदारी

साल 2013 में मोदी लहर में कांग्रेस 21 सीट पर सिमट गई थी। भाजपा ने फिर जीत दर्ज की और सरकार बनी। तत्कालीन गुजरात प्रभारी अशोक गहलोत को मार्च 2018 में जनार्दन द्विवेदी की जगह संगठन महासचिव बनाया गया। राजीव सातव को अशोक गहलोत की जगह गुजरात का प्रभारी बनाया गया था। हालांकि दिसंबर 2018 में कांग्रेस ने जीत दर्ज की और गहलोत के नेतृत्व में सरकार का गठन हुआ।

राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के किया इनकार

साल 2022 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने को लेकर चर्चा चली। हालांकि अशोक गहलोत ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा था कि ‘मैंने तय किया है कि अब मैं इस माहौल के अंदर चुनाव नहीं लडूंगा, ये मेरा फैसला है।’
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