जोधपुर के मणई आश्रम में नाबालिग से रेप के मामले में 2 सितंबर 2013 को आसाराम को जेल हुई थी। इसके बाद आसाराम को 25 अप्रैल 2018 को जोधपुर की स्पेशल पॉक्सो कोर्ट ने दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। आसाराम को स्वास्थ्य कारणों के चलते 11 साल 4 माह 12 दिन बाद कोर्ट से अंतरिम जमानत के रूप में आंशिक राहत मिली है।
आसाराम के वकील निशांत बोड़ा ने बताया कि जस्टिस दिनेश मेहता और विनीत कुमार माथुर की बेंच में याचिका दायर की गई थी। आसाराम की तरफ से वकील आरएस सलूजा, निशांत बोडा, यशपाल सिंह राजपुरोहित और भारत सैनी ने पैरवी की थी। इसमें 7 जनवरी 2025 को सुप्रीम कोर्ट से रेप में मिली जमानत का हवाला दिया गया था। इसमें आसाराम के इलाज की गुहार लगाई गई थी। उम्र और स्वास्थ्य को देखते हुए कोर्ट ने आसाराम को 31 मार्च तक अंतरिम जमानत दी है।
बता दें कि आसाराम को इससे पहले 7 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने सूरत के आश्रम में महिला अनुयायी से रेप के मामले में 31 मार्च तक जमानत दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आसाराम अपने फॉलोअर्स से नहीं मिल सकता है। आसाराम को जोधपुर रेप केस में राहत नहीं मिली थी। इसके बाद आसाराम के वकील ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। मंगलवार को हाईकोर्ट में सुनवाई के बाद बड़ी राहत मिली। अब 31 मार्च तक अंतरिम जमानत दी गई है।
इन शर्तों पर मिली जमानत… आसाराम को कोट से शर्तों के साथ अंतरिम जमानत मिली है। वह अपने फॉलोअर्स से नहीं मिल सकता। साधकों से समूह में मुलाकात नहीं करेगा। मीडिया से बात नहीं कर सकेगा और न ही सार्वजनिक रूप से प्रवचन कर सकेगा। 3 गार्ड साथ रहेंगे, जिसका खर्चा आसाराम को उठाना होगा। देश के किसी भी आश्रम में रहने की अनुमति होगी। हॉस्पिटल या आश्रम में इलाज करवाने की अनुमति रहेगी।