उन्होंने बताया कि लोकरंग उत्सव में हस्तशिल्पियों को उनकी कारीगरी के लिए आमंत्रित किया जाता है। इसी मकसद से उन्होंने डिजाइनदार और कलात्मक सुराही को तैयार किया है। खुर्जा की क्रॉकरी दुनिया भर में मशहूर है। इसीलिए कला के कद्रदान इस क्रॉकरी को घरों और ऑफिस में सजाते हैं। वैसे तो इस प्रोडक्ट के बने कप, मग, डिनर सेट की डिमांड हमेशा रहती है। मगर एंटीक आइटम के तौर पर बनाई गई चीजों को विभिन्न मेलों और त्योहारों पर पसंद किया जाता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए एक डिजाइनदार और कलात्मक ‘सुराही’ का निर्माण किया है। करीब 20 इंच लंबी इस ‘सुराही’ को बनाने में छह महीने से ज़्यादा का वक़्त लगा है। क्योंकि इसमें हैंडपेंटिंग के जरिए इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाए गए। अमूमन इस प्रकार की ‘सुराही’ की लंबाई 4 से 5 इंच होती है, लेकिन कुछ अलग करने के इरादे से इस ‘सुराही’ को तैयार किया है।
नदीम बताते हैं कि खुर्जा के क्रॉकरी उद्योग का सीधा मुकाबला चाइना के सामानों के साथ होता है। सरकार अगर टैक्स में कमी करे तो प्रोडक्ट्स के दामों में काफी कमी आए। इससे हम चीन के मुकाबले कहीं ज्यादा मजबूत स्थिति में अपने व्यापार को पहुंचा सकते हैं। उनका कहना है कि सैकड़ों की तादाद में हस्तशिल्प इस उद्योग से जुड़े हैं और विदेशों में भी काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी उनकी बनाई कलात्मक ‘सुराही’ की सराहना कर चुके हैं।
नदीम ने बताया कि एक चाय मग तैयार होने के लिए उसे 13 चरणों से होकर गुजरना पड़ता है। क्योंकि इसे बनाने से पहले एक खास तरह की मिट्टी से पहले तो मशीन की मदद से पानी निकाल लिया जाता है। इसके बाद उसे निर्वात करने के लिए मशीन की ही मदद से हवा निकाली जाती है। इससे मग या कप में दरार पड़ने की संभावना खत्म हो जाती है। इसके बाद यह मिट्टी एक सांचे में ढाली जाती है, जिससे कप या मग के आकार की एक चीज बनकर तैयार होती है। इसके बाद इस पर सफाई और चमक लाने के लिए पॉलिश इत्यादि का काम किया जाता है। गौरतलब है कि जवाहर कला केंद्र के शिल्पग्राम में राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में विभिन्न प्रांतों के कलाकार अपने-अपने प्रॉडक्ट्स का प्रदर्शन कर रहे हैं।