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Arogya Setu App पर फिर सवाल: अमेरिका में बन जाता गैरकानूनी

यूनाइटेड नेशंस में आईटी एडवाइजर और स्वच्छ भारत मिशन के नेशनल एंबेसेडर डॉ. डी. पी. शर्मा ने कहा, इंटरनेट गवर्नेंस के लिए कानून नहीं, यूएन भी चिंतित

जयपुरJun 09, 2020 / 08:29 pm

surendra kumar samariya

Arogya Setu App पर फिर सवाल: अमेरिका में बन जाता गैरकानूनी

Arogya Setu App पर फिर सवाल: अमेरिका में बन जाता गैरकानूनी

सुरेंद्र बगवाड़ा, जयपुर

यूनाइटेड नेंशस ( United Nations ) की ओर से इंटरनेट गवर्नेंस के लिए कानून बनाने के संदर्भ में इंटरनेशनल एक्सपटर्स के साथ “वैश्विक स्टेकहोल्डर संवाद” ऑनलाइन मीटिंग हुई। इसमें यूएन के इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन ( ILO ) में आईटी एडवाइजर और स्वच्छ भारत मिशन ( Swacch Bharat Mission ) के नेशनल एंबेसेडर जयपुर निवासी डॉ. डी. पी. शर्मा ने कहा कि कोरोना ट्रैकिंग में इंडिया की आरोग्य सेतु ( arogy setu app ) एक व्यक्ति की लोकेशन एवं उसकी कोरोना वैश्विक महामारी की स्थिति के बारे में जानने के लिए बहुत अच्छी सोच है। प्रभावी रूप से कार्य भी कर रही है। लेकिन व्यक्ति की प्राइवेसी, उसके मूवमेंट, उसके आवागमन की प्राइवेसी के कानून का उल्लंघन भी करती है। ऐसी एप यदि अमेरिका में लागू होती, तो प्राइवेसी कानून के तहत कानूनन तौर पर गैरकानूनी करार दी जाती।
( देखिए क्या कहा, डॉ. डी. पी. शर्मा ने )

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ऐसे हालातों में यूएन की भूमिका अधिक बढ़ जाती है। वह इंटरनेट संबंधित कानून बनाए। सभी के हितों की लोकतांत्रिक तरीके से रक्षा करें। इंटरनेट यूजर के अधिकार के साथ-साथ में उनकी जिम्मेदारियों के बारे में भी क्लियरकट डीमारकेशन होना चाहिए।
लोड बढा तो प्राइवेसी भी समाप्त

शर्मा ने बताया कि केंद्र से लेकर राज्य सरकारें अपने एप बना रही है। इंटरनेट के जरिए वीसी कर रही है। एजुकेशन, बिजनेस सहित सब कुछ इंटरनेट पर हो गया। इससे लोड काफी बढ़ गया है। इसके साथ ही साइबर क्राइम भी बढ़ गए है। प्राइवेसी की बात तो होती है, लेकिन वो खत्म हो गई है। कारण इंटरनेट को कोई सख्त और पक्का हुआ कानून नहीं है।
अपने हितों के लिए इंटरनेट लॉकडाउन क्यों?

एक्सपर्ट शर्मा ने यूएन के सेशन में कहा कि देखा गया है कि अनेक देशों की सरकारें जो छद्म लोकतंत्र का चोला पहने हुए हैं। अपने हितों को सुरक्षित करने के लिए जब चाहे इंटरनेट को लॉकडाउन कर देती हैं। खामियाजा इंटरनेट के जरिए बिजनेस और प्रोफेशनल एक्टिविटी वालों पर पड़ता है।
ऐसे में उनके प्रोफेशनल अधिकार, मानवाधिकार एवं सामान्य संवाद अधिकार पूरी तरीके से बाधित होते है। इसलिए इंटरनेशनल कानून से ही इंटरनेट लॉकडाउन की स्थिति दूर हो सकती है। ये जरुर है कि इमरजेंसी में बाधित किया जा सकता है। लेकिन जिनका काम बाधित होता है उनके लिए इंटरनेट की अबाधित एवं सुरक्षित टनल कैसे बने। इसके लिए सोचना होगा।
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