जयपुर/ जोधपुर। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय सेना की ओर से जैसलमेर के पोकरण स्थित फील्ड फायरिंग रेंज में एंटी टैंक मिसाइल नाग के सफल परीक्षण पूरे कर लिए गए हैं। थर्ड जनरेशन मिसाइल नाग का अंतिम परीक्षण गुरुवार को किया गया। अब यह मिसाइल आर्मी में शामिल होगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने परीक्षण की सफलता पर शुक्रवार को सेना व डीआरडीओ को बधाई दी।
डीआरडीओ ने 7 से 18 जुलाई तक नाग मिसाइल के कॅरियर वीकल (नामिका) के साथ अन्य उपकरणों से सुबह, दोपहर व रात की परिस्थितियों में में परीक्षण किए और सभी सफल रहे। नाग मिसाइल शामिल होने के बाद सेना की क्षमता बढ़ जाएगी। गौरतलब है कि डीआरडीओ ने 1980 में समन्वित मिसाइल विकास कार्यक्रम शुरू किया था, जिसके अंतर्गत पांच मिसाइलें विकसित करने का लक्ष्य था। एंटी टैंक मिसाइल नाग का निर्माण 1990 में शुरू हुआ। नाग के अलावा पृथ्वी, अग्नि और आकाश पहले ही सेना में शामिल कर ली गई है, जबकि त्रिशूल मिसाइल प्रोजेक्ट फिलहाल बंद कर दिया गया है।
3 से 8 किलोमीटर दूर टैंक को ध्वस्त कर सकती है
3 से 8 किलोमीटर दूर टैंक को ध्वस्त कर सकती है
नाग मिसाइल थर्ड जनरेशन मिसाइल है जो दागो और भूल जाओ के सिद्धांत पर काम करती है। इसकी मारक क्षमता 3 से 8 किलोमीटर है। इसकी गति 230 मीटर प्रति सैकेण्ड है। यह अपने साथ आठ किलोग्राम विस्फोटक ले जा सकती है जो टैंक को नेस्तानाबूद कर सकती है। इसके हेलीकॉप्टर वर्जन हेलीना के भी सफल टेस्ट हुए हैं।