जबकि जयपुर के साथ-साथ राजस्थान के दूसरे जिलों और अन्य राज्यों से भी लोग जानवरों को बेचने और खरीदने आते हैं। करीब दो वर्ष पहले तक यह हटवाड़ा शनिवार और रविवार को लगता था, लेकिन ठेके पर देने के बाद यह सातों दिन चल रहा है।
दरअसल, इस पशु हटवाड़े का संचालन जयपुर हैरिटेज निगम ने दो वर्ष पहले ठेके पर दे दिया। करीब सात करोड़ रुपए लेकर निगम की टीम ने यहां जाना भी जरूरी नहीं समझा। यही वजह है कि ठेकेदार की यहां मनमानी चल रही है और पशुपालकों से मनमर्जी का शुल्क वसूला जा रहा है। जबकि, सुविधाओं के नाम पर यहां जानवरों को पीने के लिए पानी भी नहीं मिल पाता है।
ये दर हैं निर्धारित
- * पशुओं को वाहन से उतारने व चढ़ाने के लिए ठिया शुल्क प्रत्येक वाहन से 150 रुपए
- * परिसर में गाय का बछड़े का प्रवेश शुल्क 15 रुपए, भैंस और पाड़ा का 30 रुपए
- * रवन्ना शुल्क ऊंट-ऊंटनी, भैंस, बैल, घोड़ा-घोड़ी व इनके बच्चे पर 300 रुपए प्रति नग
- * बकरा-बकरी, गधा-गधी, भेड़, गाय व इनके बच्चे के पर 150 रुपए प्रति नग निर्धारित है।
इनकी पालना नहीं
सार्वजनिक सूचना बोर्ड लगाने का प्रावधान भी शर्तों में किया गया है। इस हिसाब से ठेकेदार को चार बाय छह साइज के बोर्ड लगाने हैं। बोर्ड प्रत्येक नाके, निर्धारित रवन्ना स्थल और सहज दृश्य स्थल पर लगाने की बात शर्तों में कही गई हैं। इन बोर्ड पर लाइसेंस धारी फर्म का नाम, वसूली किए जाने वाला शुल्क लिखना भी जरूरी है।कोई जाए तो सही
टेंडर की शर्त संख्या 24 में साफ लिखा है कि निगम आयुक्त, उपायुक्त, राजस्व अधिकारी हटवाड़ा क्षेत्र का निरीक्षण कर सकेंगे। गलत पाए जाने पर शर्तों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी, लेकिन कोई भी अधिकारी एक बार भी मौके पर नहीं गया। जबकि शर्तों की पालना नहीं करने पर 50 हजार से एक लाख रुपए तक के जुर्माने का भी प्रावधान है।बोर्ड तक नहीं लगा
पत्रिका टीम ने मौके पर जाकर देखा तो रवन्ना शुल्क वसूलने में मनमानी की जा रही है। रवन्ना शुल्क की जो रसीद है, उस पर 300 रुपए लिखे हैं। जबकि, पशुपालकों से बातचीत में सामने आया कि 1200 से लेकर 1600 रुपए वसूल किए जा रहे हैं। इतना ही नहीं, एक पशु पालक ने तो यहां तक कहा कि फीस ज्यादा होने की बात कहने पर पर्ची देना बंद कर देते हैं। पत्रिका टीम को पूरे हटवाड़ा क्षेत्र में कहीं पर भी ऐसा कोई बोर्ड नहीं मिला, जिस पर शुल्क और संवेदक का नाम अंकित हो। ऐसे में पशुपालक अवैध वसूली की शिकायत भी कहां करें? इसके अलावा प्रवेश शुल्क के लिए 30 रुपए की स्लिप ही चलती मिली। जबकि, टेंडर में एक ही स्लिप चल रही है। पर्ची पर जानवर लिखकर 30 रुपए वसूल किए जा रहे हैं।