यह है खासियत इस इमारत की दीवारों के बीच 50 एमएम मोटाई में इंसुलेशन भरा गया है। इससे बारह की गर्मी का असर 60 फीसदी तक कम हो गया है। इसके अलावा छत पर भी इसी इंसुलेशन का उपयोग किया गया। यहां सोलर प्लांट के जरिए बिजली का उत्पादन हो रहा है। खिड़की के कांच की गुणवत्ता और उसकी मोटाई भी इमारत में गर्मी का असर कम कर रही है। इस तरह की तकनीक और संसाधनों के जरिए अरण्य भवन अब देश में आइडियल बन गया है। हालांकि, उर्जा मंत्रालय के इस कंसेप्ट पर राजस्थान सरकार कितना काम कर पाती है, इस पर सभी का फोकस है।
इण्डो-स्विस बिल्डिंग एनर्जी एफिशियेंसी प्रोजेक्ट है शामिल यह भवन इण्डो-स्विस बिल्डिंग एनर्जी एफिशियेंसी प्रोजेक्ट में शामिल है। यहां 44 प्रतिशत उर्जा बचत हो रही है। उर्जा मंत्रालय ने भी उर्जा बचत के लिहाज से इस इमारत को आइडियल डिजाइन के रूप में माना है।
अरण्य भवन का एनर्जी परफोर्मेंस इंडेक्स -77 किलोवॉट वर्गमीटर हर साल था ईपीआई -53 किलोवॉट वर्गमीटर प्रति वर्ष हो गया ईपीआई -3 लाख 40 हजार किलोवॉट हर वर्ष बिजली बचत -44 प्रतिशत बिजली बचत की गणना की गई