चुनाव समिति के संयोजक पद पर जातिगत संतुलन को महत्व दिया जाएगा या फिर किसी वरिष्ठ नेता की नियुक्ति होगी। यह सवाल पार्टी के अंदर जयपुर से लेकर दिल्ली तक बना हुआ है। ब्राह्मण, राजपूत और जाट वर्ग को पार्टी ने प्रतिनिधित्व दे दिया है। अब चर्चा है कि क्या एससी वर्ग के किसी नेता को राजस्थान में महत्वपूर्ण पद पर नियुक्ति मिलेगी, हालांकि केंद्र में अर्जुन राम मेघवाल मंत्री है और वे एससी वर्ग से ही आते हैं।
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यह भी चर्चा है कि यदि पार्टी एससी वर्ग से चुनाव समिति का संयोजक बनाती है तो इस पद के लिए अर्जुन राम मेघवाल का नाम सबसे आगे चल रहा है। पार्टी के अंदर अभी एक यक्ष प्रश्न वसुंधरा राजे को लेकर भी बना हुआ है। उनको पार्टी ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तो बना रखा है, लेकिन राजे को राजस्थान चुनाव में चुनाव समिति का संयोजक बनाया जाएगा या नहीं। इसे लेकर भी सियासी गलियारों में अलग-अलग चर्चाएं हैं।
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महत्वपूर्ण होती है चुनाव समिति
भाजपा में यूं तो प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और संगठन महामंत्री का पद मजबूत माना जाता है, लेकिन चुनावी साल में चुनाव समिति का संयोजक का पद भी खासा महत्व रखता है। चुनाव समिति का संयोजक बड़े नेताओं से समन्वय रख कर काम करता है।
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भाजपा 2003 से 2018 के चुनाव तक मुख्यमंत्री का चेहरा आगे रख कर चुनाव लड़ती आ रही है, लेकिन इस बार मुख्यमंत्री का चेहरा किसी को नहीं बनाया गया है। इस बार कोई चेहरा होगा या नहीं। पार्टी के बड़े नेता यह साफ कर चुके हैं। इस बार पार्टी किसी एक चेहरे पर चुनाव लड़ने के मूड में नहीं है। पीएम मोदी का चेहरा आगे रख कर ही चुनाव लड़ा जाएगा। यही वजह है कि भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष सी.पी. जोशी हर बार यही मैसेज दे रहे हैं कि केंद्र की योजनाओं और पीएम के ही होर्डिंग्स लगाओ।