जयपुर

एंटीबॉडी बन रही बच्चों की जान की दुश्मन, 17 बच्चों की मौत

कोरोना की दूसरी लहर में बच्चों से लेकर बुजुर्ग सभी कोरोना की चपेट में आए। बड़े बुजुर्गों का इलाज हुआ, उन्हें अस्पताल भी जाना पड़ा, लेकिन इस बीच कई बच्चों संक्रमित हुए। जिन्हें एसिम्टोमेटिक कोरोना हुआ। उन्हें अस्पताल नहीं जाना पड़ा।

जयपुरJul 05, 2021 / 11:34 am

Santosh Trivedi

जिला कलक्टर ने बनाए नोडल अधिकारी

देवेंद्र सिंह राठौड़
जयपुर। तीसरी लहर से पहले बच्चों में जान का खतरा देखने को मिल रहा है। स्थिति यह है कि मल्टी इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम इन चाइल्ड (एमआईएस-सी ) के शिकार भी हो रहे है, जिसकी वजह से गंभीर हालात में उनकी मौत भी हो रही है। इस तरह से मामले राजधानी स्थित जेके लोन अस्पताल में लगातार बढ़ रहे है। अब तक यहां गंभीर हालत में आए 17 बच्चे दमतोड़ चुके है। हालांकि ऐसा संक्रमित होने के बाद पाया जा रहा है।

चिकित्सकों के मुताबिक कोरोना की दूसरी लहर में बच्चों से लेकर बुजुर्ग सभी कोरोना की चपेट में आए। बड़े बुजुर्गों का इलाज हुआ, उन्हें अस्पताल भी जाना पड़ा, लेकिन इस बीच कई बच्चों संक्रमित हुए। जिन्हें एसिम्टोमेटिक कोरोना हुआ। उन्हें अस्पताल नहीं जाना पड़ा। यहां तक उनके परिजनों को उनके संक्रमित होने का पता भी नहीं चल सका। वे ठीक भी हो गए।

अब उनके शरीर में मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम के लक्षण पाए जा रहे है। जेके लोन अस्पताल में अब तक इससे ग्रस्त 150 से अधिक बच्चे आ गए। इस बीमारी में गंभीर हालात में आए 17 बच्चे इस वर्ष अप्रेल से अब तक दम भी तोड़ चुके है। जिनमें लीवर, किडनी व हार्ट फेलियर पाया गया था। ऐसे में तीसरी लहर से पहले यह बच्चों में बड़ा खतरा है।

विशेषज्ञ बोले, लगातार बढ़ रहे केस, जल्दी हो रहे ठीक
-विशेषज्ञों का कहना है कि यहां लगातार इस सिंड्रोम के केस बढ़ रहे है। आए दिन बच्चे आ रहे है। इनमें 3 से 12 साल के बच्चों में ज्यादा केस आ रहे है। जल्दी पकड़ में आने पर जल्द ठीक हो जाते है।

एमआइएस-सी सिंड्रोम की वजह
– विशेषज्ञों के अनुसार यह हमारे इम्यून सिस्टम के ओवररिएक्शन के कारण से होने वाली प्रक्रिया है। इसमें कोरोना के बाद शरीर ऐसे जहरीले तत्व उत्पन्न करने लगते है, जोकि शरीर के विभिन्न अंगों को नुकसान पहुंचाते है।

माता-पिता को मालूम नहीं बच्चा हो गया संक्रमित
-यह पोस्ट कोविड बीमारी है। यहां अभी तक जितने भी केस आए है, उनके माता-पिता को जानकारी ही नहीं कि बच्चा संक्रमित हो गया।जब तक पता चलता बीमारी उग्र हो चुकी होती है। दूसरी लहर में ज्यादा मामले बढ़े है। बच्चों को लेकर सजग रहने की जरूरत है। अबतक 153 बच्चे आ चुके, जिनमें 17 की मौत हो चुकी है। इनमें एंटीबॉडी ज्यादा पाई गई है। कई बच्चे गंभीर हालत में पहुंचे है।
-मनीष शर्मा, एडि. सुप्रीडेंट जेके लोन अस्पताल

यों करे बचाव
-घर में किसी भी सदस्य के कोरोना संक्रमित आए पर सभी की जांच कराएं। बच्चों को अनदेखा न करें। उनकी भी जांच कराए, स्वास्थ्य पर नजर बनाए रखें।
-बच्चों में उलटी, दस्त, तेज,बुखार, लाल दाने होने समेत कई लक्षण पाए जाने पर तुरंत शिशु रोग विशेषज्ञ को दिखाए।
– घर बैठकर या केमिस्ट के अनुसार व हर किसी चिकित्सक से उपचार न कराएं। क्योंकि पीडियाट्रीक कोविड अलग होता है।

यह दिख रहे लक्षण
– हार्ट व फेफड़े के आसपास पानी भरना, 24 घंटे तक तेज बुखार, स्किन रैसेज, चेहरे पर सूजन,पेट दर्द, उलटी,तेज धड़कन, सांस फूलना, लाल आंख,हाथ, होंठ,चेहरे व जीभ पर सूजन, लाल चलते समेत कई लक्षण मिल रहे हैं।

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