वन्तारा के पशु चिकित्सकों ने बचाए गए पशुओं की जांच करते हुए बताया कि यात्रा के दौरान ये पशु कई दिनों तक बिना भोजन और पानी के रहे। अब ये पशु वन्तारा के अभयारण्य में आवश्यक देखभाल प्राप्त करेंगे, जो पहले से ही कई बचाए गए कृषि पशुओं का घर है। इनमें से 21 छोटे बकरों को, जिन्हें विशेष देखभाल की आवश्यकता है, पीएफए, उत्तराखंड द्वारा संचालित ‘हैप्पी होम सैंक्चुअरी’, देहरादून भेजा जाएगा।
बचाव अभियान में पीपल फॉर एनिमल्स और ह्यूमेन सोसाइटी इंटरनेशनल की महत्वपूर्ण भूमिका
सशस्त्र सीमा बल (SSB) और बिहार सरकार ने अत्यंत कठिन परिस्थितियों में अवैध पशु परिवहन को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। SSB के कर्मियों ने पीपल फॉर एनिमल्स (PFA) और ह्यूमेन सोसाइटी इंटरनेशनल (HSI) जैसी प्रमुख पशु कल्याण संस्थाओं का भी सहयोग लिया। SSB ने विभिन्न टीमों के साथ मिलकर इन पशुओं को बचाने का सफल प्रयास किया। उल्लेखनीय है कि भारत-नेपाल सीमा के पास ‘गढ़ीमाई महोत्सव’ आयोजित होता है। जिसमें अनुष्ठानिक पशु बलि उत्सव मानया जाता ह। इस दौरान हजारों पशुओं की बलि दी जाती है। इन पशुओं में से अधिकांश को भारत से अवैध रूप से, मुख्यतः बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और उत्तराखंड से ले जाया जाता है।