जातिगत भेदभाव ने समाज में दूरियां पैदा कीं जिन्हें अंबेडकर के विचारों से खत्म किया गया। संविधान में समानता का अधिकार बताता है कि सभी नागरिक समान हैं। यह बात जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय के अंबेडकर अध्ययन केंद्र की ओर से सोमवार को हुई वेबिनार में वक्ताओं ने कही। कुलपति डॉ. अनुला मौर्य की अध्यक्षता में हुई वेबिनार में अंबेडकर की सामयिकता का विवेचन किया। राजस्थान विश्वविद्यालय की डॉ. सुमन मौर्य ने कहा कि भीमराव आंबेडकर ने स्वतंत्र भारत की सामाजिक बेहतरी के जो वैधानिक उपाय किए, उन पर ईमानदार अमल जरूरी है। इससे ही देश की स्वास्थ्य और शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त हो सकेगी। भारतीय जनसंचार संस्थान के जम्मू केंद्र के निदेशक प्रो. राकेश गोस्वामी ने संस्कृत पढ़ रहे विद्यार्थियों को आधुनिक चिंतकों के विचारों से जोडऩे की आवश्यकता बताते हुए संस्कृत विश्वविद्यालय में अंबेडकर अध्ययन केंद्र की स्थापना की प्रासंगिकता बताई। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली के डॉ. गंगासहाय मीणा ने भी अपने विचार प्रकट किए। संचालन व संयोजन शास्त्री कोसलेंद्रदास ने किया।