scriptकबाड़ से कमाल…पार्क-चौराहों पर दिखेंगे हाथी-घोड़े-स्कलपचर, क्लाइम्बर पर खेलेंगे बच्चे | Amazing things from junk… elephants and horses will be seen at parks and intersections and children will play on Skullpuchclimber | Patrika News
जयपुर

कबाड़ से कमाल…पार्क-चौराहों पर दिखेंगे हाथी-घोड़े-स्कलपचर, क्लाइम्बर पर खेलेंगे बच्चे

Jaipur Heritage Nigam : वेस्ट टू वंडर के तहत ये नवाचार निगम कर रहा है। ऐसा करने से न सिर्फ कचरे का सही उपयोग हो रहा है, बल्कि लोगों को भी यह संदेश देने का प्रयास किया है कि जीव जंतुओं का ध्यान रखें।

जयपुरJun 29, 2024 / 09:31 am

Supriya Rani

Waste To Wonder: हैरिटेज निगम पार्कों में कबाड़ से बने हाथी-घोड़े लगाने जा रहा है। इसमें प्लास्टिक का उपयोग किया गया है। आस-पास हरियाली लगाई जाएगी ताकि ये मूर्तियां सुंदर दिखे। इनको जयनिवास उद्यान, शहीद भगत सिंह पार्क, राष्ट्रपति मैदान से लेकर अन्य पार्कों में लगाया जाएगा। इनके अलावा लोहे के कबाड़ से 600 किलो वजन की एक महिला की आकृति तैयार की गई है। उसको भी जल्द निगम लगवाएगा। वहीं, गैराज शाखा के खराब टायर व कबाड़ में आने वाले टायरों से क्लाइम्बर तैयार किया जा रहा है। इस पर बच्चे खेल सकेंगे।

दरअसल, स्वच्छ सर्वेक्षण में कबाड़ और कचरे को रि-साइकिल कर नवाचार करने का प्रावधान है। ऐसा करने वाले निकाय को अंक भी मिलते हैं। पहली बार हैरिटेज निगम में इस तरह का प्रयोग किया जा रहा है।

शहर का कोना-कोना खिल उठेगा

स्टैंडिंग लेडी: इसे सोडाला तिराहे पर रखे जाने का प्लान है। फिनिशिंग का काम चल रहा है। आर्टिस्ट को निगम ने वेस्ट दिया और उसको साफ करके इसे मूर्ति के रूप में ढाला गया है। 600 किलो वजनी मूर्ति एक माह में बनकर तैयार हो गई।

ह्यूमन फेस: सरदार पटेल मार्ग, बजाज नगर पर स्थापित किया जाएगा। इसका काम लगभग पूरा हो चुका है। करीब सौ किलो के इस चेहरे में निगम की ओर से ही कबाड़ आर्टिस्ट को मुहैया करवाया गया था।पांच कलाकारों की टीम ने इसे मूर्त रूप दिया है।

मछलियां और गैंडा: स्कल्पचर बनाने में कबाड़ से निकले तारों का उपयोग किया गया है। प्लास्टिक बोतलों को कलर करके स्कल्पचर में भरा जाएगा। ये स्कल्पचर सात जुलाई तक तैयार हो जाएंगे। गैंडा को हैरिटेज कार्यालय और मछलियों को जलमहल की पाल और द्रव्यवती नदी के किनारे रखने की योजना है।

ये भी कर रहे

ट्रू ट्री: छोटे टायरों का उपयोग कर पेड़ का आकार दिया जा रहा है।

कबाड़ में आने वाले गत्तों का उपयोग कर सोफा बनाया गया है।

फर्नीचर बनाने में प्लास्टिक वेस्ट का उपयोग किया जा रहा है।

इनका यह है कहना…

वेस्ट टू वंडर के तहत ये नवाचार निगम कर रहा है। ऐसा करने से न सिर्फ कचरे का सही उपयोग हो रहा है, बल्कि लोगों को भी यह संदेश देने का प्रयास किया है कि जीव जंतुओं का ध्यान रखें। इस नवाचार में शहर के कई आर्टिस्ट को जोड़ा है।-अभिषेक सुराणा, आयुक्त

कुछ प्रस्ताव बनाकर निगम को दिए थे। उनमें से कुछ पर काम शुरू किया है। निगम ने कबाड़ व अन्य जरूरी सामान उपलब्ध कराया है। पूरी टीम ने मिलकर ये आइटम तैयार किए हैं। पार्क में लगने के बाद ये और सुंदर नजर आएंगे। -मोहित जांगिड़, आर्टिस्ट

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