दरअसल, स्वच्छ सर्वेक्षण में कबाड़ और कचरे को रि-साइकिल कर नवाचार करने का प्रावधान है। ऐसा करने वाले निकाय को अंक भी मिलते हैं। पहली बार हैरिटेज निगम में इस तरह का प्रयोग किया जा रहा है।
शहर का कोना-कोना खिल उठेगा
स्टैंडिंग लेडी: इसे सोडाला तिराहे पर रखे जाने का प्लान है। फिनिशिंग का काम चल रहा है। आर्टिस्ट को निगम ने वेस्ट दिया और उसको साफ करके इसे मूर्ति के रूप में ढाला गया है। 600 किलो वजनी मूर्ति एक माह में बनकर तैयार हो गई।
ह्यूमन फेस: सरदार पटेल मार्ग, बजाज नगर पर स्थापित किया जाएगा। इसका काम लगभग पूरा हो चुका है। करीब सौ किलो के इस चेहरे में निगम की ओर से ही कबाड़ आर्टिस्ट को मुहैया करवाया गया था।पांच कलाकारों की टीम ने इसे मूर्त रूप दिया है।
मछलियां और गैंडा: स्कल्पचर बनाने में कबाड़ से निकले तारों का उपयोग किया गया है। प्लास्टिक बोतलों को कलर करके स्कल्पचर में भरा जाएगा। ये स्कल्पचर सात जुलाई तक तैयार हो जाएंगे। गैंडा को हैरिटेज कार्यालय और मछलियों को जलमहल की पाल और द्रव्यवती नदी के किनारे रखने की योजना है।
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ट्रू ट्री: छोटे टायरों का उपयोग कर पेड़ का आकार दिया जा रहा है। कबाड़ में आने वाले गत्तों का उपयोग कर सोफा बनाया गया है। फर्नीचर बनाने में प्लास्टिक वेस्ट का उपयोग किया जा रहा है।इनका यह है कहना…
वेस्ट टू वंडर के तहत ये नवाचार निगम कर रहा है। ऐसा करने से न सिर्फ कचरे का सही उपयोग हो रहा है, बल्कि लोगों को भी यह संदेश देने का प्रयास किया है कि जीव जंतुओं का ध्यान रखें। इस नवाचार में शहर के कई आर्टिस्ट को जोड़ा है।-अभिषेक सुराणा, आयुक्त
कुछ प्रस्ताव बनाकर निगम को दिए थे। उनमें से कुछ पर काम शुरू किया है। निगम ने कबाड़ व अन्य जरूरी सामान उपलब्ध कराया है। पूरी टीम ने मिलकर ये आइटम तैयार किए हैं। पार्क में लगने के बाद ये और सुंदर नजर आएंगे। -मोहित जांगिड़, आर्टिस्ट