चाबी बनाने के बहाने वह बदमाश किसी अन्य साथी को भी बुला लाया। एक ने बातों में उलझाने का जिम्मा संभाला तो दूसरा तेजी से काम में लग गया। चाबी बन गई और उन्होंने अलमारी खोलकर और बंद करके दिखाया। लोकेश को लगा कि काम ठीक से हो गया। लेकिन यह कोई साधारण चाबी बनाने वाला नहीं था, यह एक मास्टरप्लान का हिस्सा था!
जब तक लोकेश को कुछ समझ आता, तब तक अलमारी में रखी सोने की दो चेन, पांच अंगूठी, 7 हजार रुपये नकद और अन्य कीमती सामान गायब हो चुके थे।