ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि शास्त्रों में अमावस्या तिथि की बहुत महत्ता बताई गई है। इस दिन पावन नदियों में स्नान और दान करना बहुत फलदायी माना जाता है। अमावस्या तिथि पितृ दोष से मुक्ति दिलाने में सहायक मानी गई है। यही कारण है कि इस दिन पितृ तर्पण जरूर करना चाहिए। ज्योतिष और धार्मिक ग्रंथों के अनुसार अमावस्या तिथि आध्यात्मिक चिंतन-मनन के लिए भी श्रेष्ठ दिन है।
नए साल 2021 की पहली अमावस्या पर मतभिन्नता सामने आ रही है। हिन्दू पंचांग के अनुसार पौष अमावस्या का शुभारंभ 12 जनवरी को हो जाएगा हालांकि यह अमावस्या व्रत, स्नान, पूजा-अर्चना का दिन 13 जनवरी यानि बुधवार को माना गया है। ज्योतिषाचार्य पंडित जीके मिश्र के मुताबिक 12 जनवरी को दोपहर 12.22 बजे अमावस्या तिथि प्रारंभ होगी जोकि 13 जनवरी को सुबह 10.29 बजे समाप्त होगी। अमावस्या उदया तिथि अर्थात सूर्याेदय के वक्त की अमावस्या तिथि 13 जनवरी यानि बुधवार को है। इसी कारण 13 जनवरी को ही अमावस्या के अनुष्ठान किए जाएंगे।
ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर के अनुसार के दिन पवित्र नदी जलाशय या तालाब आदि में स्नान करें। तांबे के पात्र में जल, चंदन और लाल फूल डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके बाद शिवजी की विधि विधान से पूजा करें। शिवाभिषेक करें, शिवजी को बिल्व या धतूरा अर्पित करें. ओंकार मंत्र ओम नमः शिवाय का अधिक से अधिक जाप करें। मध्यान्ह करीब 12 बजे पितरों का तर्पण करें। पितरों की आत्मा की शांति के लिए उनके निमित्त किसी गरीब या जरूरतमंद को दान-दक्षिणा दें।