दूसरी ओर मानसून की बेरुखी के चलते कई राज्यों में गर्मी अधिक है। एेसे में लोग रात के भोजन में सब्जी में सरसों तेल का तड़का लगाने की बजाए आम से ही रोटी खा लेते हैं। बिहार में सबसे अधिक आम से रोटी खाने का चलन है। इस बारे में सरसों तेल उत्पादक बृज भूषण गुप्त कहते हैं कि यह सही है कि इन दिनों आम का असर इसकी मांग पर पड़ा है। जब तक बरसात तेज नही ंआएगी, तब तक सरसों तेल की मांग नहीं निकलेगी। इसके लिए मानसून का इंतजार करना होगा।
पूर्वात्तर राज्यों में कोल्हू के तेल की मांग
पूर्वात्तर राज्यों असम, अरूणाचल, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैंड के साथ पश्चिम बंगाल में अलवर और भरतपुर के कच्ची घानी के तेल की बहुत मांग है। कच्ची घानी सरसों तेल बनाने का वही परम्परागत रूप कोल्हू से तेल निकालना है। इस तेल में झाग के कारण तीखापन अधिक होता है जिससे मच्छली का स्वाद बढ़ जाता है।
पूर्वात्तर राज्यों असम, अरूणाचल, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैंड के साथ पश्चिम बंगाल में अलवर और भरतपुर के कच्ची घानी के तेल की बहुत मांग है। कच्ची घानी सरसों तेल बनाने का वही परम्परागत रूप कोल्हू से तेल निकालना है। इस तेल में झाग के कारण तीखापन अधिक होता है जिससे मच्छली का स्वाद बढ़ जाता है।