मुंबई में चूहों से फैलने वाली बीमारी लेप्टोस्पाइरोसिस से लोगों की मौत के बाद जोधपुर के जंतुआलय में विशेष सर्तकता बरतने के निर्देश दिए गए हैं।
चार साल पूर्व 9 सितम्बर 2011 को जोधपुर जंतुआलय के पांच वर्षीय युवा बाघ रुद्र की मौत का प्रमुख कारण चूहों से फैलनी वाली बीमारी लेप्टोस्पाइरोसिस बताया गया था। लेप्टोस्पाइरोसिस के कारण जंतुआलय में पहले भी स्टार वन्यजीवों की मौत के बाद विशेष सावधानी बरतने के निर्देश दिए गए हैं। जोधपुर जंतुआलय में पिछले डेढ़ दशक के दौरान केट प्रजाति सहित कई वन्यजीव इस बीमारी से काल का ग्रास बन चुके हैं।
जंतुआलय में अभी 649 वन्यजीव हैं, जिनमें प्रमुख रूप से पैंथर का जोड़ा, बब्बर शेर, भेडि़ए, चीतल, बजरीगर, एेमू, काले हरिण, चिंकारे, नील गाय सहित विभिन्न प्रजातियों के बंदर, कछुए, मगरमच्छ, घडि़याल, राजहंस, पहाड़ी तोते, सफेद मोर, एेमू, पेलिकन, कुरजां शामिल हंै। कुछ माह पूर्व उदयपुर में भी लेप्टोस्पाइरोसिस बीमारी के कारण बाघ की मौत हो चुकी है।
उम्मेद उद्यान में चूहों की भरमार
उम्मेद उद्यान में लोगों के बेरोकटोक प्रवेश के कारण लोग तेल से बने पदार्थ खाने के बाद जगह -जगह जूठन डाल देते हैं। नतीजन उद्यान में बड़ी तादाद में चूहों की संख्या बढ़ रही है। उद्यान परिसर में लॉयन केज के सामने स्थित राजकीय संग्रहालय के चारों तरफ भी चूहों की भरमार है।
वन्यजीवों की दिनचर्या पर नजर
चूहों से होने वाले खतरों से रोकथाम के लिए सर्तकता बरती जा रही है। मुंबई में लेप्टोस्पोइरोसिस की घटना के बाद एेहतियात के तौर पर सभी वन्यजीवों के मोट्स परिसरों व पिंजरों में रखे जाने वाले भोजन को तुरंत हटाने व संवेदनशील जगहों पर चूहों को पकडऩे वाले पिंजरे लगाने में सावधानी बरतने को कहा गया है। वन्य जीव चिकित्सक श्रवणसिंह राठौड़ व टीम भी नियमित जांच के साथ दिनचर्या पर नजरे रखे हुए है।
महेन्द्रसिंह राठौड़, उपवन संरक्षक वन्यजीव जोधपुर
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