यह सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने की कोशिश- जमील खान
आईएमआईएम राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष जमील अहमद खान ने
अजमेर ख्वाजा साहब की दरगाह को धार्मिक सहिष्णुता और एकता का प्रतीक बताते हुए कहा कि 1991 के प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट के तहत किसी भी धार्मिक स्थल का स्वरूप बदला नहीं जा सकता। उन्होंने ऐसी याचिकाओं को देश का माहौल खराब करने और सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने की कोशिश बताया।
जमील अहमद ने सवाल उठाया कि राजस्थान के 5 मुस्लिम विधायक अब तक खामोश क्यों हैं, जबकि एआईएमआईएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी लगातार कौम और देश की एकता के लिए आवाज उठा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि ख्वाजा साहब की दरगाह इंसानियत और भाईचारे का संदेश देती है, और ऐसे पवित्र स्थलों पर विवाद पैदा करना गलत है। जमील अहमद ने न्यायालय से अपील की कि ऐसी याचिकाओं को खारिज किया जाए ताकि देश की गंगा-जमुनी तहज़ीब और सांप्रदायिक सौहार्द बना रहे।
याचिकार्ता को मिली धमकी
इधर, तीन दिन पहले हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता को जान से मारने की धमकी भी मिली है। विष्णु गुप्ता को एक कॉल कनाडा से आया है जबकि दूसरा कॉल भारत से आया है। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है, जिसमें धमकाने वाला व्यक्त विष्णु गुप्ता से कहा रहा है कि मैं कनाडा से बोल रहा है, तुने अजमेर शरीफ पर याचिका दाखिल की है, ज्यादा मत फड़फड़ाओ गर्दन उड़ जाएगा।
20 दिसंबर को होगी अगली सुनवाई
गौरतलब है कि बीते बुधवार को अजमेर सिविल न्यायालय पश्चिम ने हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा अजमेर दरगाह में मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका लगाई गई। न्यायालय ने इस पर सुनावाई करते हुए इससे संबंधित लोगों को नोटिस जारी किए हैं। कोर्ट ने अल्पसंख्यक मंत्रालय, दरगाह कमेटी अजमेर और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) को नोटिस देकर पक्ष रखने को भी कहा है। इस मामले में कोर्ट 20 दिसंबर को अगली सुनवाई करेगी।